कुंभ स्नान के लिए जा रहे हैं प्रयागराज? इस पवित्र मंदिर में दर्शन करना न भूलें, मिलेगा पुण्य का आशीर्वाद

कुछ ही दिनों में महाकुंभ मेले का आयोजन होने वाला है, इस बार यह आयोजन प्रयागराज में होगा, जिसमें लाखों लोगों के शामिल होने की संभावना है। अगर आप भी स्नान के लिए प्रयागराज जा रहे हैं तो इस मंदिर में दर्शन करना ना भूलें।

Bhawna Choubey
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MahaKumbh 2025: 14 जनवरी से महाकुंभ का आयोजन होने जा रहा है, इस साल यह आयोजन उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में होगा। प्रयागराज जिसे धार्मिक आस्था का केंद्र और तीर्थ नगरी के रूप में जाना जाता है, यह भारी संख्या में श्रद्धालुओं को अपनी और आकर्षित करता है।

यहां स्थित संगम, गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों का मिलन होता है। इसलिए धार्मिक यात्रियों के लिए यह स्थान विशेष महत्व रखता है। इस स्थान की महत्ता और भी अधिक हो जाती है, जब यहां पर महाकुंभ मेले का आयोजन होता है। अगर आप भी महाकुंभ मेले में शामिल होने का विचार कर रहे हैं, तो हम आपको बता दें, कि आप प्रयागराज में महाकुंभ मेले के अलावा और कौन-कौन से मंदिर है जहां दर्शन करने के लिए जा सकते हैं।

कल्याणी देवी मंदिर

कल्याणी देवी मंदिर प्रयागराज के प्रमुख शक्तिपीठों में से एक है, जिसे धार्मिक आस्थाओं और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक माना जाता है। यह मंदिर संगम के पास में ही है और इसे देवी दुर्गा की उपासना का केंद्र माना जाता है।

कल्याणी देवी मंदिर की विशेषता

यह मंदिर विशेष कर अपनी 32 अंगुल ऊंची मां कल्याणी की प्रतिमा के लिए प्रसिद्ध है, माना जाता है कि इस मूर्ति की स्थापना महर्षि याज्ञवल्क्य की थी। बताया जाता है कि महर्षि ने इस स्थान पर ध्यान और साधना करके आध्यात्मिक सिद्धियां प्राप्त की थी और इस समय से यह मंदिर श्रद्धालुओं के बीच आस्था और विश्वास का केंद्र बना हुआ है।

इस मंदिर में दर्शन पाने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं मां कल्याणी से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं, माना जाता है कि यहां माता रानी की पूजा पाठ करने और ध्यान करने से जीवन में सकारात्मक बदलाव आता है।

कल्याणी देवी मंदिर का इतिहास

अगर आप कल्याणी देवी मंदिर का इतिहास जानना चाहते हैं तो आपको बता दें कि इस मंदिर का इतिहास बहुत गहरा और दिलचस्प है। मंदिर में स्थित मां कल्याणी की मूर्ति 7वीं शताब्दी की है, जो मंदिर की ऐतिहासिक महत्व को बखूबी दर्शाती है।

वही मंदिर का जीर्णोद्धार 1892 में हुआ था, लेकिन विभिन्न शासकों ने समय-समय पर इस मंदिर का पुनर्निर्माण कराया। इस मंदिर के वास्तुकला प्राचीन शैली में बनाई गई है, जो इसके धार्मिक और ऐतिहासिक महल को दर्शाती है। देवी मां की मूर्ति विशेष पत्थर से बनी हुई है, जो अपनी सुंदरता और आकर्षक से भक्तों को मंत्रमुग्ध कर देती है। नवरात्रि और महाकुंभ के अवसर पर यहां भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है।

Disclaimer- यहां दी गई सूचना सामान्य जानकारी के आधार पर बताई गई है। इनके सत्य और सटीक होने का दावा MP Breaking News नहीं करता।


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