Mahakumbh 2025: प्रयागराज महाकुंभ 2025, जो हर 12 साल में एक बार आयोजित किया जाता है। महाकुंभ मेले का आयोजन इस बार और भी भव्य और खास होने जा रहा है। इस बार यह महाकुंभ का मेला न केवल धार्मिक आस्थाओं का केंद्र बना हुआ है, बल्कि इस बार आपको कई बदलाव और विशेषताएं नजर आएंगी।
प्रयागराज महाकुंभ 2025 में संगम की धरती पर कई साधु संतों के जत्थे आ रहे हैं, उनमें हर एक की अपनी अनोखी कहानी है। कुछ बाबाओं की कहानी तो ऐसी हैं, जो आपको हैरान कर देंगी। चलिए फिर उन बाबा के बारे में जान लेते हैं, जिनकी जीवनशैली और कार्यक्षेत्र दूसरों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बन चुके हैं।
मौनी बाबा की अनोखी कहानी
दरअसल, हम बात कर रहे हैं प्रयागराज महाकुंभ 2025 में पहुंचे मौनी बाबा की। मौनी बाबा की कहानी बेहद ही रोचक और प्रेरणादायक है। नाम से शायद आपको लग रहा होगा कि यह बाबा मौन रहते होंगे, लेकिन हम आपको बता दें, यह बाबा सिर्फ मौन ही नहीं रहते हैं, बल्कि अन्न और जल का भी त्याग कर चुके हैं।
दिन में 10 बार चाय पीते हैं मौनी बाबा
लेकिन शायद आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इसके बावजूद भी बाबा दिन में 10 बार चाय पीते हैं, जो कि उनके जीवन का आधार बन चुकी है। मौनी बाबा के पास जो भी भक्त दर्शन के लिए पहुंचते हैं, वह प्रसाद के रूप में बाबा को चाय पिलाते हैं।
स्पीड में बाइक चलाने का शौक रखते हैं बाबा
इसके अलावा अगर बाबा के शौक के बारे में बात की जाए, तो बाबा को स्पीड में बाइक चलाने का बेहद शौक है, जो उनके व्यक्तित्व को और भी दिलचस्प बनाता है। बाबा के बारे में जब कुछ बातें पता चली, तो मन किया कि बाबा के बारे में और भी विस्तार से जाना जाए, तो चलिए जान लेते हैं, कि बाबा और क्या-क्या अनोखी चीज करते हैं जो सभी को हैरान कर देती हैं।
तैयारी करने वाले छात्रों को बाबा देते हैं मुफ्त सिविल सेवा कोचिंग
सबसे ज्यादा हैरान कर देने वाली बात यह है, कि बाबा सिविल सेवा की तैयारी करने वाले छात्रों को मुफ्त में कोचिंग देते हैं। जी हां, बाबा व्हाट्सएप पर हाथ से लिखे नोट्स के माध्यम से अपनी शिक्षा का मार्गदर्शन करते हैं, जो उनके भक्तों के लिए एक अनमोल तोहफा रहता है। अब आप भी बाबा की शैक्षणिक योग्यता जानने के लिए उत्सुक होंगे, तो चलिए वह भी जान लेते हैं।
कितनी है मौनी बाबा की शैक्षणिक योग्यता?
मौनी बाबा की शैक्षणिक योग्यता भी उतनी ही रोचक है जितनी की उनकी जीवनशैली। बाबा ने बायोलॉजी में बी.एस.सी की है, बाबा बताते हैं कि उन्होंने जो कुछ भी सिखाया है, उसमें उनके कुछ छात्र सिविल सेवा परीक्षा में सफल भी हुए हैं। मौन रहने के बावजूद भी बाबा अपने हाथों से लिखे गए नोट्स के माध्यम से छात्रों को शिक्षा देते हैं।
क्या है मौनी बाबा का असली नाम?
यह सब तो रही बाद की बात, अब हम जानेंगे मौनी बाबा की जड़ कहां से है, दरअसल, मौनी बाबा का असली नाम दिनेश स्वरूप ब्रह्मचारी है, और वह प्रतापगढ़ के चिलविला स्थित शिव शक्ति बजरंग धाम से पधारे हैं।
कैसा रहा मौनी बाबा का जीवन?
बाबा का संबंध एक शिक्षक परिवार से है, उनके पिता प्रचार्य थे। अपने पिता की मृत्यु के बाद उन्होंने अनुकंपा के आधार पर नौकरी प्राप्त की लेकिन उनके दिल में ईश्वर भक्ति की गहरी भावना रही, जिससे उन्होंने यह मार्ग अपनाया।
बाबा ने अपने सांसारिक जीवन को त्याग कर संन्यास लेने का निर्णय लिया और सब कुछ छोड़कर आध्यात्मिक मार्ग पर चल पड़े। वाकई में बाबा के बारे में जानना बहुत ही रोचक है, बाबा की दिलचस्प कहानी सभी को प्रेरित करती है, संन्यास लेने के बावजूद भी बाबा अपने शैक्षणिक ज्ञान को लोगों तक पहुंचाते हैं, और उन्हें भी जीवन बदलने और आगे बढ़ने में मदद करते हैं।