Narmada River: नर्मदा नदी, जिसे “मध्य प्रदेश की जीवन रेखा” के नाम से जाना जाता है, मध्य भारत के विशाल भूभाग को सींचने वाली एक महत्वपूर्ण नदी है। यह भारतीय उपमहाद्वीप की पांचवीं सबसे लंबी नदी है और गोदावरी और कृष्णा के बाद भारत में तीसरी सबसे लंबी नदी है। महाकाल पर्वत श्रृंखला के अमरकंटक से निकलकर, नर्मदा नदी पश्चिम दिशा की ओर बहती है और खंभात की खाड़ी में विलीन हो जाती है। यह एक अनोखी नदी है जो बंगाल की खाड़ी की ओर बहने वाली अधिकांश भारतीय नदियों के विपरीत दिशा में बहती है।
मध्य प्रदेश और गुजरात राज्यों में बहने वाली नर्मदा नदी, धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। हिन्दू धर्म में इस नदी को विशेष पूजा-अर्चना प्राप्त है और इसे “मां नर्मदा” का दर्जा दिया गया है। अमरकंटक, जहां नर्मदा की उत्पत्ति होती है, को एक पवित्र तीर्थ स्थल माना जाता है। नर्मदा नदी सिर्फ धार्मिक महत्व ही नहीं रखती, बल्कि यह मध्य प्रदेश और गुजरात के लोगों के जीवन और आजीविका का आधार भी है। यह नदी सिंचाई, पेयजल, औद्योगिक उपयोग और बिजली उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण जल संसाधन प्रदान करती है।
नर्मदा नदी, अपनी प्राकृतिक सुंदरता और जैव विविधता के लिए भी प्रसिद्ध है। इसके किनारे कई ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल स्थित हैं जो इसे पर्यटकों के लिए एक आकर्षक स्थान बनाते हैं। नर्मदा नदी मध्य प्रदेश और गुजरात के लिए एक जीवनदायिनी नदी है। यह न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखती है, बल्कि लोगों के जीवन और आजीविका का भी आधार है।
नर्मदा कुंवारी क्यों रहीं?
नर्मदा नदी, जिसे “मां नर्मदा” के नाम से भी जाना जाता है, भारत की एक महत्वपूर्ण नदी है। इस नदी से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं, जिनमें से एक कथा नर्मदा के कुंवारी रहने के रहस्य को उजागर करती है। कथा के अनुसार, नर्मदा राजा मैखल की पुत्री थीं और उनकी सुंदरता और गुणों की ख्याति दूर-दूर तक फैली हुई थी। जब नर्मदा विवाह योग्य हुईं, तो राजा मैखल ने घोषणा की कि जो भी राजकुमार गुलबकावली का फूल लेकर आएगा, उसकी शादी नर्मदा से होगी।
इस घोषणा के बाद कई राजकुमार आए, लेकिन कोई भी गुलबकावली का फूल नहीं ला पाया। अंततः, राजकुमार सोनभद्र गुलबकावली का फूल लेकर आए और नर्मदा से उनकी शादी तय हो गई। नर्मदा की एक सहेली थी जिसका नाम जुहिला था। नर्मदा ने अपनी शादी से पहले सोनभद्र को देखने की इच्छा जाहिर की और जुहिला को राजकुमार के पास पत्र लेकर भेजा।
लेकिन जुहिला ने धोखे से पत्र राजकुमार तक नहीं पहुंचाया और खुद ही सोनभद्र से प्रेम करने लगी। नर्मदा को जब जुहिला के धोखे का पता चला तो वह क्रोधित हो गईं और आजीवन कुंवारी रहने का प्रण ले लिया। इसके बाद नर्मदा ने उल्टी दिशा में बहने का मार्ग अपनाया और आज भी वह इसी दिशा में बह रही हैं।
(Disclaimer- यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं के आधार पर बताई गई है। MP Breaking News इसकी पुष्टि नहीं करता।)