धर्म, डेस्क रिपोर्ट। नवरात्रि (Navratri) का पर्व चल रहा है और आज महा अष्टमी का दिन है। ऐसे में भक्त माता मंदिरों (Mandir) में दर्शन करने के लिए जा रहे हैं। भक्तों की माता के प्रति काफी ज्यादा आस्था है। ऐसे में कई माता मंदिर ऐसे है जहां भक्तों का तांता देखने को मिलता है। आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जहां महाकाली को पसीना आता है।
उनके गर्भगृह में कभी भी एसी बंद नहीं होता है। जी हां एक ऐसा ही मंदिर मध्यप्रदेश के जबलपुर में स्थित है। इस मंदिर में भक्तों के लिए एसी नहीं बल्कि माता के लिए एसी लगाया गया है क्योंकि माता को पसीना आता है। मान्यताओं के अनुसार, पुजारियों को समय-समय पर प्रतिमा के परिधान बदलना पड़ता है। चलिए जानते है आखिर क्यों महाकाली की प्रतिमा से पसीना निकलता है।
आपको बता दे, मध्यप्रदेश के जबलपुर में स्थित महाकाली के मंदिर में पहले एसी की जगह कूलर की व्यवस्था की गई थी। लेकिन मां काली का पसीना निकलना बंद नहीं होने की वजह से मंदिर समिति ने वहां एसी लगाने का निर्णय लिया। उसके बाद से आज तक मंदिर का एसी रोजाना चालू रहता है। कभी भी बंद नहीं होता है। अगर ऐसी बंद कर दिया जाता है तो मां काली को पसीना आने लग जाता है।
बता दें मां काली के इस मंदिर में नवरात्रि के दौरान भक्तों की काफी ज्यादा भीड़ देखने को मिलती है। यहां भक्त अपनी मनोकामनाएं लेकर मां के सामने आते हैं। मान्यता है कि यहां की हर मनोकामनाएं पूर्ण होती है। इस मंदिर को लेकर भक्तों का काफी ज्यादा आस्था भी है। हालांकि आज तक भी इस मंदिर का रहस्य कोई नहीं सुलझा पाया कि आखिर मंदिर में मां काली की प्रतिमा से पसीना क्यों निकलता है।
आपको बता दें यह मंदिर जबलपुर के संस्कारधानी में स्थित है। इस मंदिर को बंजारों की काली मां का मंदिर भी कहा जाता है। इस मंदिर में कई रहस्य छुपे हुए हैं लेकिन आज तक भी कोई बात सामने नहीं आई। इसके अलावा ये भी बताया जाता है कि अगर मंदिर की लाइट बंद कर दी जाती है तो मां की प्रतिमा से इतना पसीना आता है कि ड्रेस बदल बदल कर थक जाए। इसलिए मंदिर में 24 घंटे एसी और लाइट चालू रहती है।
मान्यताओं के अनुसार, ये मंदिर 500 साल पुराना है। इस मंदिर में प्रतिमा को गोंडवाना साम्राज्य के दौरान स्थापित किया था। इस मंदिर को लेकर पुजारी ने बताया है कि पहले यहां पर जंगल हुआ करता था। यहां पर बंजारों के द्वारा मां काली की मूर्ति स्थापित की थी। उसके बाद बंजारे यहां से चले गए। हालांकि माता की मूर्ति को हिलाने की कोशिश की गई लेकिन मां काली की मूर्ति एक इंच भी इधर से उधर नहीं हिली। ऐसे में सभी बंजारे वहां से चले गए।