बसंत पंचमी पर मां सरस्वती को अर्पित करें ये खास फूल, मिलेगी उनकी असीम कृपा

सरस्वती पूजा का पर्व ज्ञान और विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा के लिए खास माना जाता है. इस दिन विशेष रूप से ताजे और प्रिय फूलों से पूजा करने का महत्व है.

Bhawna Choubey
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बसंत पंचमी का पर्व देवी सरस्वती की उपासना का विशेष अवसर है जिन्हें ध्यान कला और विद्या की देवी माना जाता है. यह दिन शिक्षा, संस्कृति से जुड़े हर व्यक्ति के लिए ख़ास महत्व रखता है. माँ सरस्वती की कृपा से न केवल बुद्धि और ज्ञान का विकास होता है बल्कि जीवन में सफलता समृद्धि के द्वार भी खुलते हैं.

ऐसा कहा जाता है, कि जिन पर माँ शारदा की कृपा होती है, वे अपनी प्रतिभा और समझदारी से हर क्षेत्र में प्रगति करते हैं. इससे दिन माँ शारदा की उपासना करने से मन एकाग्र होता है और पढ़ाई लिखाई में सफलता प्राप्त होती है. छात्रों, शिक्षकों और शिक्षा संस्थानों के लिए यह दिन अत्यंत शुभ और महत्वपूर्ण होता है.

कब मनाया जाएगा बसंत पंचमी का त्योहार (Basant Panchami 2025)

साल 2025 में बसंत पंचमी का त्योहार दो फ़रवरी को मनाया जाएगा, जो छात्रों और शिक्षकों के लिए प्रेरणा और एकाग्रता का प्रतीक है. इससे दिन माँ की पूजा सादगी और श्रद्धा से की जाती है. चलिए इस आर्टिकल में समझते हैं कि माँ सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए उन्हें कौन कौन सी फूल चढ़ाने चाहिए.

वैसे तो बसंत पंचमी का दिन माता सरस्वती को समर्पित होता है और इस दिन विशेष पूजा अनुष्ठानों का आयोजन किया जाता है. लेकिन माता सरस्वती की पूजा को जितना सादगीपूर्ण रखा जाए उतना ही फलदायी माना जाता है.

सफ़ेद और पीला रंग है अत्यंत प्रिय

शास्त्रों के अनुसार देवी सरस्वती को सफ़ेद और पीला रंग बहुत प्रिय है. ऐसे में वसंत पंचमी के दिन माता की पूजा में सफीदों पीले रंग की फूलों का उपयोग अवश्य करें. पूजा में हुई चढ़ते समय यह ध्यान रखना आवश्यक है कि फूल ताजे, शुद्ध और सुवासित हो.

माँ सरस्वती को कौन-कौन से फूल चढ़ाएँ

सूरज की पूजा में सफ़ेद और पीले रंग के फूल विशेष रूप से देवी को प्रसन्न करते हैं. माता सरस्वती को कनेर ,गुलाब , चाँदनी , कमल और गेंदे के फूल अति प्रिय होते हैं. इन सब में से गेंदे के फूल आपको आसानी से मिल जाएंगे, भक्ति और प्रेम का प्रतीक जूही का फूल भी माता को अर्पित कर सकते हैं. इसके अलावा अपराजिता का फूल देवी सरस्वती को अर्पित करना शुभ माना गया है.

 


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