अलग-अलग होते हैं पितृ दोष और पितृ ऋण, यहां जानें अंतर और इससे मुक्ति पाने के उपाय

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Pitra Dosh and Pitra Rinn

Pitra Dosh and Pitra Rinn : हिंदू धर्म में जितना महत्व देवी देवताओं को दिया गया है, उतना ही महत्व पितरों का भी माना जाता है। पितरों की पूजा अर्चना की जाती है ताकि उनकी आत्मा तृप्त रहे और जीवन में किसी भी तरह की कोई समस्या ना आए। वहीं जिस तरह से अलग अलग ग्रहों के विपरीत संयोग कुछ दोष का निर्माण करते हैं। उसी तरह से व्यक्ति के जीवन से पितृ दोष और पितृ ऋण भी जुड़ा हुआ है।

ज्योतिष शास्त्र में भी पितृ दोष और पितृ ऋण का काफी महत्व माना जाता है। कालसर्प दोष के बाद अगर किसी दोष को सबसे ज्यादा खतरनाक माना गया है तो वह है पितृ दोष। लेकिन क्या आप जानते हैं पितृ दोष और पितृ ऋण दोनों अलग-अलग होता है? शयद नहीं जानते होंगे। लेकिन आपको बता दे, पितृ दोष और पितृ ऋण एक नहीं है बल्कि ये दोनों एक दूसरे से बहुत अलग-अलग होते हैं। पितृ दोष को श्राप माना जाता है।

अगर ये दोष किसी व्यक्ति की कुंडली में होता है तो उसके जीवन में काफी ज्यादा समस्या और कष्ट उत्पन्न होते हैं। वहीं पितृ ऋण दोष से अलग होता है। पितृ ऋण को माता पिता का ऋण माना जाता है। इस वजह से इसे पूर्वजों का ऋण माना जाता है। पितृ दोष की तरह ही इसे भी नजर अंदाज नहीं किया जाना चाहिए। अगर ऐसा किया जाता है तो ये जीवन के कई पहलुओं को प्रभावित करता है। चलिए जानते हैं विस्तार से पितृ दोष और पितृ ऋण के बारे में –

Pitra Rinn क्या है?

पितृ ऋण को माता पिता का ऋण माना जाता है। इस वजह से इसे पूर्वजों का ऋण माना जाता है। ये व्यक्ति पर तब चढ़ता है जब वह बड़े बुजुर्गों का अनादर किया जाता है या फिर उनकी देखभाल नहीं की जाती है। दरअसल जिस तरह माता-पिता हमें जन्म देते हैं, हमें प्यार देते हैं, बड़ा करते हैं, हमारी हर इच्छा को पूरा करते है। इस तरह हमें भी उनके कर्ज को चुकाने के लिए उनकी देखभाल करना जरूरी होती है।

अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो फिर जातकों पर पितृ ऋण चढ़ता है। हालांकि यह कुंडली में मौजूद ग्रहों की स्थिति की वजह से भी प्रभाव को निर्धारित करता है। वैसे तो मनुष्य को जीवन में 5 तरह के ऋण चुकाना होते हैं लेकिन पिता का ऋण सबसे ज्यादा जरुरी माना जाता है। इस ऋण को उतारने के लिए संतान उत्पति करनी चाहिए। इसके अलावा पूर्वजों का तर्पण और श्राद्ध कर के भी इस ऋण से मुक्ति पाई जा सकती है।

ये होते हैं 5 तरह के ऋण- माता का ऋण, पिता का ऋण, गुरु का ऋण, धरती का ऋण. धर्म का ऋण

  • माता का ऋण चुकाने के लिये कन्या दान करना चाहिए।
  • पिता का ऋण चुकाने के लिए संतान उत्पति करनी चाहिए।
  • गुरु का ऋण चुकाने के लिए लोगों को शिक्षित करना चाहिए ।
  • धरती का ऋण चुकाने के लिए कृषि करना चाहिए या पेड़ लगाना चाहिए।
  • धर्म का ऋण चुकाने के लिए धर्म का प्रचार प्रसार करना चाहिए।

पितृ ऋण के उपाय

  • इस दोष से छुटकारा पाने के लिए घर के सभी सदस्यों से बराबर मात्रा में सिक्के इकट्ठे करके उन्हें मंदिर में दान करें।
  • इसके अलावा पीपल और बरगद के वृक्ष में नियमित रूप से जल चढ़ाते रहना चाहिए।
  • कर्पूर जलाने से देवदोष और पितृदोष से छुटकारा पाया जा सकता है।
  • कौए, चिढ़िया, कुत्ते और गाय को रोजाना रोटी दाना खिलाना चाहिए। इससे भी दोष से छुटकारा मिलता है।

क्या है Pitra Dosh?

पितृ दोष सबसे खतरनाक दोषों में से एक माना जाता है। ये दोष सबसे ज्यादा उन लोगों पर लगता है जो अपने पितरों का अनादर करते हैं। इतना ही नहीं वह कष्ट भी देते हैं। क्योंकि मृत्यु लोक पर हमारे पूर्वजों की आत्माएं अपने परिवार के हर सदस्य पर नजर बनाए रखते हैं। जो दुखी आत्मा होती है वह श्राप देती है जिसकी वजह से इस श्राप को पितृ दोष माना जाता है।

कुंडली में ऐसे होता है इसका निर्माण

ज्योतिष शास्त्र की माने तो सूर्य को आत्मा का कारक माना जाता है। वहीं वैदिक ज्योतिष और ज्योतिष शास्त्र में इस पिता का कारक कहा गया है। ऐसे में जब कुंडली में राहु और शनि सूर्य को प्रभावित करते हैं तब पितृ दोष का निर्माण होता है। वहीं अगर कुंडली के लग्न भाव और 5वें भाव में सूर्य मंगल और शनि एक साथ होते हैं तब भी इस दोष का निर्माण होता है। वहीं अष्टम भाव में गुरु और राहु का साथ होना भी पितृ दोष का कारण बनता है। ये दोष व्यक्ति को जीवन में सफल नहीं होने देता।

जीवन में आती हैं ये परेशानियां

जिन जातकों की कुंडली में पितृ दोष होता है वह जीवन में हमेशा परेशानियों से घिरा रहता है। उसे जीवन में सफलता भी हासिल नहीं होती वह चाहे कितनी भी कड़ी मेहनत क्यों ना कर लें उसे जीवन में खूब संघर्ष करना पड़ता है। सेहत भी उस जातक की ठीक नहीं रहती है वह बार बार बीमार हो जाता है। उसे धन हानि भी सबसे ज्यादा होती है।

इन सब से छुटकारा पाने के लिए वह कई तरह के उपाय भी करते हैं लेकिन इसकी सटीक वजह उन्हें पता नहीं चल पाती है। अगर कुंडली के पितृ दोष को ठीक कर दिया जाए और इसके उपाय किए जाए तो जीवन में खुशियों का आगमन होने लगता है। वहीं सफलता के रास्ते खुलने के साथ ही धन लाभ के योग बनते हैं।

इन उपायों से दूर करें पितृ दोष

  • अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष है तो उसे व्यक्ति को हर मंगलवार और शनिवार को हनुमान जी की पूजा अर्चना करनी चाहिए। साथ ही हनुमान चालीसा का पाठ नियमित रूप से करना चाहिए। कहा जाता है कि जिस भी व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष है, अगर वह हनुमान जी की शरण में जाता है तो उसे इस दोष से मुक्ति मिल सकती है।
  • इसके अलावा हर चतुर्दशी, अमावस्या और पूर्णिमा के दिन जातकों को पीपल के पेड़ पर दूध चढ़ाना चाहिए। ऐसा करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति की कुंडली से पितृ दोष को खत्म करने में मदद करते हैं।
  • ज्योतिषों के मुताबिक अगर व्यक्ति जीवन में काफी ज्यादा परेशान है तो वह रोजाना एक मुट्ठी चावल अपने ऊपर से सात बार उतार कर पीपल की जड़ में डालें। ऐसा उन्हें लगातार 21 दिनों तक करना है। इससे उन्हें पितृदोष से जल्द ही राहत मिलेगी।
  • जिस भी जातक की कुंडली में पितृ दोष होता है उस जातक को रोजाना सूर्य देव की पूजा अर्चना करनी चाहिए। साथ ही सुबह उठने के बाद स्नान करके सूर्य को जल चढ़ाना चाहिए। साथ ही सूर्य देव के सामने अपने पितरों की शांति की प्रार्थना करनी चाहिए। ऐसा करने से पितृ दोष से जल्द मुक्ति मिलती है।

डिस्क्लेमर – इस लेख में दी गई सूचनाएं सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। एमपी ब्रेकिंग इनकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह लें।

 

 


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Ayushi Jain

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