Puja Path Niyam: भगवान को भोग लगाए बिना कोई भी पूजा पूरी नहीं मानी जाती। लोग भक्ति और श्रद्धा भाव के साथ देवी-देवताओं को प्रिय भोग अर्पित करते हैं। हिन्दू धर्म में भोग का विशेष महत्व होता है। यह एक महत्वपूर्ण परंपरा है। इसे भक्ति और और समर्पण का प्रतीक माना जाता है। भोग के रूप में मिठाई, खीर, फल इत्यादि व्यंजन देवी-देवताओं को अर्पित किए हैं। लेकिन पूजा का सकारात्मक फल तभी मिलता है, जब नियमों का पालन किया जाए।
स्वच्छता का रखें ख्याल
भोग को तैयार करते समय रसोई को साफ रखें। स्नान और स्वच्छ वस्त्र धारण करके ही भोग लगाएं। ध्यान रखें कि सभी बर्तन साफ हो। भोग हमेशा सात्विक होना चाहिए।
ऐसे बर्तनों का करें इस्तेमाल
भगवान को हमेशा सोना, चांदी, पीतल, तांबा से बने बर्तनों में भोग लगाएं। आप मिट्टी और लकड़ी से निर्मित बर्तन में भी भोग लगा सकते हैं। प्लास्टिक, एल्यूमीनियम, स्टील, लोहा से बने पात्रों का इस्तेमाल करना शुभ नहीं माना जाता है।
इस मंत्र का करें जाप
भगवान को भोग लगाते वक्त “तवदियं वस्तु गोविंद तुभ्यमेव समर्पये गृहाण सम्मुखे भूत्वा प्रसीद परमेश्वर” मंत्र का जाप करें। ऐसा करें से देवी-देवताओं भोग को जल्द स्वीकार करते हैं।
देवी-देवाओं को लगाएं प्रिय भोग
देवी-देवताओं को उनके पसंद के अनुसार ही भोग अर्पित करने चाहिए। लेकिन यदि ऐसा संभव न हो तो आप मिश्री, एक प्रकार की मिठाई का भोग अर्पित कर सकते हैं।
कब करें प्रसाद का सेवन?
भोग को अर्पित करने के बाद इसे पवित्र माना जाता है और प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है। पूजा के समापन के बाद 5 मिनट तक भगवान के भोग रखें, फिर हटा दें। अधिक समय तक प्रसाद को देवी-देवताओं के सामने रखने नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। प्रसाद को तुरंत बाँट देना चाहिए।
न करें भोग का अनादर
भोग या प्रसाद का कभी भी अनादर नहीं होना चाहिए। भोग को फेंके नहीं न ही गंदे हाथों से छूए। भोग को प्रेम-भक्ति भाव और स्वच्छता के साथ अर्पित करें।
(Disclaimer: इस आलेख का उद्देश्य केवल सामान्य जानकारी साझा करना है, जो ग्रंथों, मान्यताओं और विभिन्न माध्यमों पर आधारित है। MP Breaking News इन बातों के सत्यता और सटीकता की पुष्टि नहीं करता।)