Surya Tilak: आज अयोध्या में पहली रामनवमी है जिसे नवनिर्मित मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद मनाया जा रहा है। वहीं दोपहर 11 बजकर 58 मिनट पर अभिजीत मुहूर्त में रामलला को 4 मिनट के लिए सूर्य तिलक किया गया। इस दौरान लाखों भक्तों ने उन्हें निहारा। वहीं सूर्य की किरणों से रामलला का श्रंगार अलौकिक नजर आया। जानकारी के अनुसार इससे पहले आज मंदिर के कपाट सुबह 3.30 बजे खुल गए हैं, जो कि सामान्य दिनों में 6.30 बजे खुलते हैं। जबकि आज रामनवमी के विशेष अवसर पर श्रद्धालु 11.30 बजे तक, यानी 20 घंटे के लिए दर्शन कर सकेंगे।
ऐसे हुआ राम लला का दिव्य अभिषेक…
🌹500 साल बाद इस दृश्य को देख राम भक्तों की आंखें हुईं नम…🌹💐हर कोई बोल रहा
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— MP Breaking News (@mpbreakingnews) April 17, 2024
दूध से अभिषेक किया गया:
कपाट सुबह खुलने के बाद, एक धार्मिक अनुष्ठान के दौरान रामलला को दूध से अभिषेक किया गया और उनका श्रृंगार किया गया। इसी दौरान भक्त उनके दर्शन करते रहे। सुबह 5 बजे मंगला आरती हुई और इसके बाद लगभग 6 लाख श्रद्धालु अयोध्या पहुंच चुके हैं। आपको बता दें कि जगह-जगह लंबी कतारें खड़ी हैं, जैसे कि राम पथ, भक्ति पथ और जन्मभूमि पथ पर। शयन आरती के बाद रात 11:30 बजे रामलला के कपाट बंद किए जाएंगे।
हालांकि, एक घटना में हनुमानगढ़ी के बाहर एक पर्दा गिर गया। यह पर्दा ईंट की रेलिंग से जुड़ा हुआ था और इस घटना में 2 महिला श्रद्धालु और 2 महिला पुलिसकर्मी घायल हो गईं हैं। पुलिस अभी तक इस घटना पर कोई विवरण नहीं दे पा रही है।
पैदल यात्रा करके अयोध्या तक पहुंचे भक्त:
वहीं इस विशेष अवसर पर 40 रामभक्त जयपुर से 700 किलोमीटर की पैदल यात्रा करके अयोध्या तक पहुंचे। भक्तों का कहना हैं कि 21 मार्च को हम 750 ग्राम चांदी की चरण पादुका, अखंड ज्योति और ध्वजा लेकर रवाना हुए थे। हम सभी भगवान का नाम का जप करते हुए अयोध्या पहुंचे। आज हमने चरण पादुका का नगर भ्रमण करवाया, हनुमानगढ़ी भी गए। फिर हमने सरयू नदी में स्नान कराया और इसके बाद हम रामलला को समर्पित करेंगे।
रामलला का दिख रहा आज अलौकिक रूप:
रामलला आज पीले रंग के वस्त्रों में अद्भुत शोभा पर रहे हैं, जिन पर सूर्य का प्रतीक बना है। उन्हें स्वर्ण मुकुट, शानदार हार और अन्य आभूषण पहनाए गए हैं, जिनमें महारत्नों का उपयोग किया गया है। रामलला की पूजा में गुलाब, कमल, गेंदा, चंपा, चमेली जैसे फूलों का उपयोग किया गया है, जो उन्हें दिव्य हार के रूप में पहनाया गया है।