Rohini Vrat 2024: जैन धर्म में अनेक महत्वपूर्ण व्रत-त्योहार मनाए जाते हैं, जिनमें से रोहिणी व्रत का विशेष स्थान है। यह व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुख-शांति की कामना पूर्ति के लिए प्रति माह शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रखती हैं। रोहिणी व्रत एक महत्वपूर्ण हिंदू व्रत है जो पति की दीर्घायु, सुख-समृद्धि और वैवाहिक जीवन में खुशहाली के लिए रखा जाता है। यह व्रत माता लक्ष्मी और भगवान चंद्रमा को समर्पित है। जैन धर्म में रोहिणी व्रत को अत्यंत पवित्र व्रत माना जाता है। साल 2024 में जून के महीने में रोहिणी व्रत 06 जून 2024 गुरुवार के दिन रखा जाएगा।
यह व्रत मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा किया जाता है, लेकिन पुरुष भी इसे कर सकते हैं। जैन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और परिवार की सुख-समृद्धि के लिए इस व्रत का पालन करती हैं। इस दिन भगवान वासुपूज्य की पूजा की जाती है। इस दिन गरीबों को दान देने का भी विशेष महत्व माना गया है। यह व्रत जैन धर्म के पंचकल्याण में से एक माना जाता है। इस व्रत को करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह व्रत ग्रहों के दोषों का निवारण करता है। यह व्रत धन-धान्य की वृद्धि करता है। यह व्रत रोगों का नाश करता है। यह व्रत संतान प्राप्ति में सहायक होता है।
क्या-क्या लाभ मिलते है
जैन धर्म में मान्यता है कि रोहिणी व्रत करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस व्रत को विधि-विधानपूर्वक करने से धन संबंधी समस्याएं दूर होती हैं और धन-वृद्धि होती है। जैन धर्म में मोक्ष को जीवन का परम लक्ष्य माना जाता है। रोहिणी व्रत मोक्ष प्राप्ति का साधन माना जाता है। इस व्रत को करने से पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, रोहिणी व्रत करने से ग्रहों के दोषों का निवारण, रोगों का नाश, संतान प्राप्ति और सभी मनोकामनाओं की पूर्ति भी होती है।
इन नियमों का करें पालन
व्रत के दौरान नियमित स्नान करना और स्वच्छ वस्त्र पहनना चाहिए। घर और पूजा स्थान को स्वच्छ और पवित्र रखना चाहिए। व्रत के दौरान मन को सकारात्मक विचारों से भरपूर रखना चाहिए और नकारात्मक भावनाओं से बचना चाहिए। व्रत के दौरान कठोर शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए और सत्य बोलना चाहिए। व्रत के दौरान किसी भी जीव को हानि नहीं पहुंचानी चाहिए। व्रत के दौरान पति-पत्नी को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। सूर्यास्त के बाद भोजन ग्रहण करना वर्जित है। यदि आप लगातार 3, 5 या 7 वर्षों तक व्रत का पालन करते हैं, तो उद्यापन अवश्य करें। उद्यापन में गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन कराएं और दान करें।
(Disclaimer- यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं के आधार पर बताई गई है। MP Breaking News इसकी पुष्टि नहीं करता।)