Sawan 2024: सावन का पवित्र महीना भगवान शिव की भक्ति और धूमधाम से मनाए जाने वाले त्योहारों के लिए जाना जाता है। इस दौरान श्रद्धालु व्रत रखते हैं, पूजा-पाठ करते हैं और आशीर्वाद पाने के लिए भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए विभिन्न अनुष्ठान करते हैं। लेकिन क्या आपने कभी गौर किया है कि सावन में महिलाएं हरे रंग के वस्त्र और चूड़ियां धारण करती हैं? यह परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसके पीछे का कारण क्या है? आइए आज हम इस पहेली को सुलझाएं और जानें कि सावन में हरे रंग का इतना महत्व क्यों है। ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी जी के मार्गदर्शन में, हम इस रंग के पीछे छिपे धार्मिक और वैज्ञानिक रहस्यों को उजागर करेंगे।
हरा रंग सुहाग का प्रतीक
सावन के महीने में सुहागिनों के पहनावे और श्रृंगार में भी एक खास रंग नजर आता है – हरा। हरा रंग सुहाग का प्रतीक माना जाता है, इसलिए सावन में सुहागिनें हरे रंग के वस्त्र पहनती हैं। हाथों में रची मेहंदी का रंग भी हरा या गहरा होता है, जो सुहाग की खुशियों और मंगलकामनाओं का प्रतीक है। हरी या चूड़ेदार चूड़ियां कलाईयों को सजाती हैं, जो सुहाग की निशानी होती हैं। सावन के सोमवार व्रत, प्रदोष व्रत और हरियाली तीज जैसे व्रतों का पालन करना भी सुहागिनों के लिए परंपरा का हिस्सा है।
सावन की मंदिरों में गूंजती भक्तिमय धुन और चारों ओर फैली हरियाली सिर्फ आंखों को ही सुहाती नहीं लगती, बल्कि महिलाओं के सौंदर्य में भी एक खास रंग भर देती है। हरे रंग की चूड़ियां कलाईयों को सजाती हैं, हरे रंग के वस्त्र तन को सुहाते हैं और हाथों में रची हरी मेहंदी मानो सावन की हरियाली का ही एक अंश है। यह परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस सावन के श्रृंगार में छिपा एक गहरा अर्थ है? हरा रंग सिर्फ श्रृंगार का एक हिस्सा नहीं, बल्कि सुहाग का प्रतीक, देवी पार्वती के प्रति श्रद्धा और भगवान शिव को प्रसन्न करने का माध्यम भी है।
सावन में भगवान शिव की आराधना का सुहागिनों के जीवन में विशेष महत्व है। शिव-पार्वती, प्रेम और समर्पण के प्रतीक माने जाते हैं। सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा करने से सुहागिनों को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही, मां पार्वती और शिव जी की कृपा उन पर बनी रहती है, जिससे उनके वैवाहिक जीवन में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है। सावन के दौरान किए गए व्रत और पूजा-पाठ न केवल पति का प्रेम और स्नेह दिलाते हैं, बल्कि वैवाहिक जीवन में आने वाली बाधाओं को भी दूर करते हैं।
धार्मिक कारण
हरा रंग भगवान शिव का प्रिय रंग माना जाता है। वे प्रकृति, वृद्धि और समृद्धि के देवता हैं, और हरा रंग इन सभी गुणों का प्रतीक है। सावन का महीना वर्षा ऋतु का होता है, जब प्रकृति हरे रंग से भरपूर होती है। हरा रंग पहनकर, लोग प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं और भगवान शिव से आशीर्वाद मांगते हैं। हरा रंग शुद्धता और शांति का प्रतीक भी है। सावन के दौरान, लोग मन और शरीर को शुद्ध करने और आध्यात्मिक शांति प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। हरा रंग पहनना इस भावना को दर्शाता है।
सांस्कृतिक कारण
भारत में, हरा रंग अक्सर हरियाली और जीवन का प्रतीक माना जाता है। सावन के दौरान, लोग हरा रंग पहनकर मानसून की शुरुआत और धरती पर नए जीवन के आगमन का जश्न मनाते हैं। हरा रंग उम्मीद और समृद्धि का भी प्रतीक है। सावन के दौरान, लोग हरा रंग पहनकर अच्छी फसल और समृद्ध जीवन की कामना करते हैं। हरा रंग सामाजिक जुड़ाव और एकता का भी प्रतीक है। सावन के दौरान, लोग हरा रंग पहनकर एक दूसरे के साथ भाईचारे और सद्भाव की भावना को बढ़ावा देते हैं।
(Disclaimer- यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं के आधार पर बताई गई है। MP Breaking News इसकी पुष्टि नहीं करता।)