Garud Puran: गरुड़ पुराण में बताए गए हैं आत्मा से जुड़े रहस्य, जानें यहां

Garuda Purana

Garud Puran : गरुड़ पुराण हिंदू धर्म के महापुराणों में से एक है और यह वैष्णव संप्रदाय से संबंधित महापुराण के रूप में भी जाना जाता है। यह पुराण गरुड़ पक्षी (गरुड़) और भगवान विष्णु के बीच हुई एक बातचीत के माध्यम से जीवन, मृत्यु, स्वर्ग और नरक के विषय में विस्तारपूर्वक जानकारी प्रदान करता है। धर्म के मान्यताओं, धर्मिक कर्मों, धर्म से संबंधित रहस्यों और मृत्यु के बाद आत्मा की यात्रा, पितृलोक, स्वर्ग और नरक के विविध परिदृश्यों का वर्णन, प्रायश्चित्त, धर्म, भक्ति, विवाह और अन्य धार्मिक विषयों की जानकारी बताता है। इस पुराण में आत्मा के पुनर्जन्म के सिद्धांत, धर्म के मार्ग, भक्ति के अनुष्ठान और मुक्ति की प्राप्ति के तरीके आदि पर विस्तृत विचार किए जाते हैं।

अकाल मृत्यु की सजा

इसमें अकाल मृत्यु और इसकी सजा के विषय में विस्तार से चर्चा की गई है। अकाल मृत्यु एक प्रकार की मृत्यु होती है जब किसी व्यक्ति का मृत्युकाल अप्राकृतिक रूप से आकर्षित होता है और उसे अप्राकृतिक परिस्थितियों या कारणों से मृत्यु हो जाती है। इसे अकाल मृत्यु कहा जाता है क्योंकि इसका होना अप्राकृतिक होता है यानी मनुष्य के नियमित जीवन-मृत्यु काल से अलग होता है। गरुड़ पुराण में कहा गया है कि अकाल मृत्यु की सजा विविधताओं में होती है जैसे कि आत्मा के बाद की जगह विशेष प्रकृति या दुष्ट आत्माओं के लिए हो सकती है। इस प्रकार की मृत्यु में आत्मा को दुःखों का सामना करना पड़ता है।

व्यक्ति के जीवन में 7 चक्र निश्चित

  1. मूलाधार चक्र: यह चक्र शरीर के नीचे मूलबंध स्थान पर स्थित होता है जो कि भौतिक उपयोगों, सुरक्षा और मूल आधारों के साथ जुड़ा होता है।
  2. स्वाधिष्ठान चक्र: यह चक्र गुप्तांगों के आधार पर स्थित होता है जो कि संतान, रोमांच के साथ जुड़ा होता है।
  3. मणिपूर चक्र: यह चक्र नाभि स्थान पर स्थित होता है जो कि प्राणिक शक्ति, संतुलन और स्वयंसेवा के साथ जुड़ा होता है।
  4. अनाहत चक्र: यह चक्र हृदय के नीचे स्थित होता है जो कि प्रेम, करूणा, सहानुभूति और आत्मा की आवाज के साथ जुड़ा होता है।
  5. विशुद्धि चक्र: यह चक्र गले के नीचे स्थित होता है जो कि सत्य, प्रकाश और स्वतंत्रता के साथ जुड़ा होता है।
  6. आज्ञा चक्र: यह चक्र मस्तक के बीच स्थित होता है जो कि अंतर्ज्ञान, अवधारणा और आदर्शों के साथ जुड़ा होता है।
  7. सहस्रार चक्र: यह चक्र शिरा में स्थित होता है जो कि आत्मसाक्षात्कार, आनंद और ब्रह्मग्यान के साथ जुड़ा होता है।

जब एक व्यक्ति मृत्यु को प्राप्त होता है और उसने सात चक्रों को पूरा नहीं किया होता है, तो उसकी जीवात्मा दुःख और कष्ट भोगती है।

इस प्रकार तय होती है अकाल मृत्यु

वेद-पुराणों में आयु की अवधि के बारे में ज्यादा नहीं बताया गया है लेकिन कुछ ग्रंथों में अवतारों और महात्माओं की आयु 100 वर्षों तक जीने का उल्लेख किया गया है। बता दें कि जिन लोगों ने निंदित कर्म किए हैं या पापाचरण किया है उस व्यक्ति की आयु कम हो सकती है और वे अकाल मृत्यु को प्राप्त हो सकते हैं। यदि किसी का कर्म बहुत ही दुष्कर्मी होता है और वह अपराधी के रूप में मान्यता प्राप्त करता है तो उसकी आत्मा निश्चित समय से पहले यमलोक जाती है, जहां वह अपने पापों के फलों को भोगती है। वहीं, आत्महत्या को लेकर वेद-पुराणों में इसकी निंदा की गई है।

आत्मा की मुक्ति के उपाय

गरुड़ पुराण के अनुसार, अकाल मृत्यु द्वारा मरने वाले व्यक्ति के परिजनों के लिए कुछ आदेश और उपाय बताए गए हैं। इसमें उन्हें उस व्यक्ति के तर्पण का आयोजन करने, पिंडदान करने और पुण्य के कार्य करना चाहिए, जिससे उन आत्माओं को मुक्ति और शांति मिले।

(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना अलग-अलग जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है।)


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Sanjucta Pandit

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