Shani Dev : शनि देव को न्याय का देवता माना जाता है। हिंदू धर्म में उनकी पूजा-अर्चना का विधान है। ऐसी मान्यता है कि शनि देव की नाराजगी से व्यक्ति के जीवन में तबाही मच सकती है। इसलिए लोग शनिवार को विधि विधान पूर्वक पूजा करते हैं। शनि देव को काला रंग अति प्रिय है। इसलिए उन्हें काले रंग का वस्त्र चढ़ाना शुभ माना जाता है। इसके अलावा, तिल के तेल का दीपक जलाना भी बेहद अच्छा माना जाता है। शनि देव ढाई साल में एक बार राशि परिवर्तन करते हैं, इस दौरान सभी 12 राशियों पर इसका शुभ और अशुभ परिणाम देखने को मिलता है।
क्या आप जानते हैं शनि देव को रावण के पैरों के नीचे रखा जाता है। इसके पीछे भी पौराणिक कथा छुपी हुई है। जिसके बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी होगी।
देवताओं को युद्ध में रावण ने हराया
जी हां! त्रेता युग में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम का जन्म हुआ था। उस युग में भगवान ने रावण का वध किया और सभी देवी देवताओं को मुक्त कराया था। रावण ने देवताओं को युद्ध में हराकर उन्हें कैद कर लिया था। साथ ही नवग्रह को मुट्ठी में धारण करके लंका भी लेकर गए थे।
शनि देव को बनाया था बंदी
पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब मेघनाथ का जन्म होने वाला था। तब रावण ने सभी ग्रहों को एक घर में कैद कर दिया था, क्योंकि सभी नवग्रह को कैद करने से मेघनाथ को अमर होने का वरदान मिल जाता। इसलिए रावण ने सभी को एक घर में कैद कर लिया था, लेकिन शनि देव ने एक ऐसी चाल चली, जिसके कारण वह मेघनाथ के जन्म से ठीक पहले एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश कर गए, जिस कारण मेघनाथ अजर और अमर नहीं हो सका।
ऐसे मिली थी मुक्ति
इससे क्रोधित होकर रावण ने शनि देव के पैर पर गदा से प्रहार कर दिया। जिस कारण शनि देव की चाल खराब हो गई। केवल इतना ही नहीं, रावण ने शनि देव को कठोर सजा दे डाली और सिंहासन पर बैठते समय अपने पैर रखने के लिए शनि देव की पीठ का इस्तेमाल करता था, जब यह जुल्म बढ़ने लगा तब राम भक्त हनुमान ने नवग्रहों को रावण की कैद से मुक्त कराया था।
(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।)