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Fri, Dec 19, 2025

Sunday Special: आरोग्य, धन और मोक्ष की प्राप्ति के लिए करें ये सरल उपाय, हर मनोकामना होगी पूरी

Written by:Bhawna Choubey
Published:
Sunday Special: सूर्य देव को हिन्दू धर्म में नौ ग्रहों का राजा माना जाता है। वे ऊर्जा, शक्ति और स्वास्थ्य के देवता हैं। उनकी पूजा करने से न केवल इन गुणों में वृद्धि होती है, बल्कि मान-सम्मान में भी वृद्धि होती है और कर्ज से मुक्ति मिलती है। सूर्य देव की पूजा करने का सबसे उत्तम समय सूर्योदय का समय होता है। आप रविवार को भी उनकी पूजा कर सकते हैं, क्योंकि यह उनका दिन माना जाता है।
Sunday Special: आरोग्य, धन और मोक्ष की प्राप्ति के लिए करें ये सरल उपाय, हर मनोकामना होगी पूरी

Sunday Special: रविवार, सप्ताह का वह पवित्र दिन है, जो दिव्य प्रकाश से जगमगाता है। यह दिन समर्पित है सूर्य देव, उस सर्वशक्तिमान सत्ता को, जो जगत को ऊर्जा प्रदान करती है। रविवार का दिन सूर्य देव की उपासना के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। ज्योतिषीय दृष्टि से भी यह दिन विशेष महत्व रखता है। सूर्य पूजा से न केवल भौतिक लाभ मिलते हैं बल्कि आत्मिक उन्नति का मार्ग भी प्रशस्त होता है। नियमित रूप से सूर्य देव की आराधना करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और सफलता निश्चित रूप से प्राप्त होती है। ज्योतिष शास्त्र इस बात को रेखांकित करता है कि रविवार को सूर्य देव की आराधना अनेक अमूल्य फल प्रदान करती है। आइए, जानते हैं रविवार और सूर्य पूजा के गहन महत्व को।

रविवार को सूर्य पूजा से मिलने वाले फल

अक्षय सुख-समृद्धि: सूर्य देव की कृपा से भक्तों को न केवल सांसारिक सुख बल्कि मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग भी प्रशस्त होता है। यह अक्षय सुख ही है, जो जीवन को सार्थक बनाता है।

यश और कीर्ति की प्राप्ति: सूर्य देव की उपासना करने से व्यक्ति यश और कीर्ति के शिखर को छू सकता है। समाज में मान-सम्मान प्राप्त होता है और व्यक्ति अपने कार्यों के लिए पहचाना जाता है।

स्वस्थ जीवन: सूर्य देव स्वास्थ्य के देवता भी हैं। उनकी पूजा करने से शरीर निरोग रहता है और व्यक्ति ऊर्जा से भरपूर रहता है।

व्यवसाय और नौकरी में सफलता: सूर्य देव लगन और परिश्रम को बल प्रदान करते हैं। रविवार को उनकी आराधना करने से व्यवसाय में वृद्धि होती है और नौकरी में तरक्की मिलती है।

ग्रहों की अनुकूलता: ज्योतिष के अनुसार, सूर्य पूजा से ग्रहों की दशा शुभ होती है। इससे जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और सफलता का मार्ग प्रशस्त होता है।

रविवार को सूर्य पूजा कैसे करें

सुबह उठकर पवित्र स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें। एक आसन बिछाकर उस पर सूर्य देव की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। अब सूर्य देव को जल, पुष्प, अक्षत, रोली, कुमकुम और धूप अर्पित करें। इसके बाद ॐ सूर्याय नमः और गायत्री मंत्र: ॐ भूर्भुवः स्वः सूर्याय नमः इन मंत्रों का जाप करें। सूर्य चालीसा और सूर्य स्तुति का पाठ करें। तत्पश्चात, सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए सूर्य नमस्कार करें। धूप जलाकर आरती करें और मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करें। अंत में, सूर्य देव को भोग लगाएं।

सूर्य देव को प्रसन्न करने के अन्य उपाय

रविवार का व्रत रखें। लाल रंग के वस्त्र पहनें। सूर्य देव को गुड़ और घी का भोग लगाएं। तांबे के बर्तन में जल भरकर सूर्य देव को अर्घ्य दें। सूर्य मंत्रों का जाप करते हुए सूर्य देव की परिक्रमा करें। इन सरल उपायों को करने से आप सूर्य देव की कृपा प्राप्त कर सकते हैं और उनके दिव्य प्रकाश से अपना जीवन धन्य कर सकते हैं।

।।श्री सूर्य स्तुति।।

जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन ।।

त्रिभुवन-तिमिर-निकन्दन, भक्त-हृदय-चन्दन॥

जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।

सप्त-अश्वरथ राजित, एक चक्रधारी।

दु:खहारी, सुखकारी, मानस-मल-हारी॥

जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।

सुर-मुनि-भूसुर-वन्दित, विमल विभवशाली।

अघ-दल-दलन दिवाकर, दिव्य किरण माली॥

जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।

सकल-सुकर्म-प्रसविता, सविता शुभकारी।

विश्व-विलोचन मोचन, भव-बन्धन भारी॥

जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।

कमल-समूह विकासक, नाशक त्रय तापा।

सेवत साहज हरत अति मनसिज-संतापा॥

जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।

नेत्र-व्याधि हर सुरवर, भू-पीड़ा-हारी।

वृष्टि विमोचन संतत, परहित व्रतधारी॥

जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।

सूर्यदेव करुणाकर, अब करुणा कीजै।

हर अज्ञान-मोह सब, तत्वज्ञान दीजै॥

”सूर्य कवच”

॥श्री सूर्य ध्यानम्॥

रक्तांबुजासनमशेषगुणैकसिन्धुं

भानुं समस्तजगतामधिपं भजामि।

पद्मद्वयाभयवरान् दधतं कराब्जैः

माणिक्यमौलिमरुणाङ्गरुचिं त्रिनेत्रम्॥

श्री सूर्यप्रणामः

जपाकुसुमसङ्काशं काश्यपेयं महाद्युतिम्।

ध्वान्तारिं सर्वपापघ्नं प्रणतोऽस्मि दिवाकरम् ॥

। याज्ञवल्क्य उवाच ।

श्रुणुष्व मुनिशार्दूल सूर्यस्य कवचं शुभम् ।

शरीरारोग्यदं दिव्यं सर्व सौभाग्यदायकम् ॥॥

दैदिप्यमानं मुकुटं स्फ़ुरन्मकरकुण्डलम् ।

ध्यात्वा सहस्रकिरणं स्तोत्रमेतदुदीरयेत्॥॥

शिरो मे भास्करः पातु ललाटे मेSमितद्दुतिः ।

नेत्रे दिनमणिः पातु श्रवणे वासरेश्वरः ॥३ ॥

घ्राणं धर्म धृणिः पातु वदनं वेदवाहनः ।

जिह्वां मे मानदः पातु कंठं मे सुरवंदितः ॥॥

स्कंधौ प्रभाकरं पातु वक्षः पातु जनप्रियः ।

पातु पादौ द्वादशात्मा सर्वागं सकलेश्वरः ॥॥

सूर्यरक्षात्मकं स्तोत्रं लिखित्वा भूर्जपत्रके ।

दधाति यः करे तस्य वशगाः सर्वसिद्धयः ॥॥

सुस्नातो यो जपेत्सम्यक् योSधीते स्वस्थ मानसः ।

स रोगमुक्तो दीर्घायुः सुखं पुष्टिं च विंदति ॥॥

॥ इति श्री माद्याज्ञवल्क्यमुनिविरचितं सूर्यकवचस्तोत्रं संपूर्णं ॥

(Disclaimer- यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं के आधार पर बताई गई है। MP Breaking News इसकी पुष्टि नहीं करता।)