Nirjala Ekadashi 2024: निर्जला एकादशी, जिसे भीमसेनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म के सबसे कठिन लेकिन सबसे फलदायी व्रतों में से एक है। यह व्रत ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन न केवल भगवान विष्णु की पूजा की जाती है बल्कि उनके निमित्त कठोर व्रत भी रखा जाता है, जिसमें जल ग्रहण तक वर्जित होता है। माना जाता है कि निर्जला एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति को 24 एकादशियों के समान फल प्राप्त होता है। इतना ही नहीं, इस व्रत के माध्यम से व्यक्ति को पापों से मुक्ति, मोक्ष की प्राप्ति, यश-कीर्ति, सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।
निर्जला एकादशी पर ये 6 उपाय दिलाएंगे आर्थिक मुक्ति
यह धारणा है कि निर्जला एकादशी के दिन भगवान विष्णु को तुलसी की मंजरी अर्पित करने से धन संबंधी समस्याएं दूर होती हैं। ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु तुलसी के प्रति अत्यंत प्रसन्न रहते हैं और इस दिन उनकी पूजा करने से विशेष कृपा प्राप्त होती है। एकादशी तिथि के दिन तुलसी के पत्ते या मंजरी नहीं तोड़नी चाहिए। भगवान विष्णु को अर्पित करने के लिए एक दिन पहले ही तुलसी मंजरी की व्यवस्था कर लेनी चाहिए।
इस दिन भगवान विष्णु क्षीरसागर में शेषनाग पर शयन करते हैं और सभी देवी-देवताओं, ऋषि-मुनियों सहित सृष्टि विश्राम लेती है। इस दिन व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा करने से पापों का नाश, पुण्य की प्राप्ति और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। विशेष रूप से, निर्जला एकादशी के दिन भगवान विष्णु को तुलसी दल अर्पित करने का विशेष महत्व है। तुलसी को माता लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है, और भगवान विष्णु को तुलसी अत्यंत प्रिय है। इसलिए, निर्जला एकादशी के दिन भगवान विष्णु को तुलसी दल अर्पित करने से आय और सौभाग्य में वृद्धि होती है।
निर्जला एकादशी, भगवान विष्णु को समर्पित एक महत्वपूर्ण व्रत है, जो वर्ष में दो बार आता है। यह व्रत मोक्ष प्राप्ति का द्वार माना जाता है और इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से पापों का नाश, पुण्य की प्राप्ति और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। शास्त्रों में कहा गया है कि जगत के पालनहार भगवान विष्णु एवं मां लक्ष्मी को चावल की खीर अति प्रिय है। इसलिए, निर्जला एकादशी के दिन भगवान विष्णु को अखंडित चावल और गुड़ से मिश्रित खीर भोग में अर्पित करना विशेष फलदायी माना जाता है। अखंडित चावल समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक हैं, और गुड़ मधुरता और पवित्रता का प्रतीक है। इसलिए, चावल और गुड़ से बनी खीर भगवान विष्णु और माँ लक्ष्मी को अर्पित करने से धन-धान्य की वृद्धि, सुख-समृद्धि और पारिवारिक कल्याण की प्राप्ति होती है।
(Disclaimer- यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं के आधार पर बताई गई है। MP Breaking News इसकी पुष्टि नहीं करता।)