Mandir Niyam: सनातन धर्म में घर के मंदिर का विशेष महत्व होता है। यह देवी-देवताओं का वासस्थान होता है और पूजा-अर्चना का पवित्र स्थान माना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुछ चीजें ऐसी भी हैं जिन्हें घर के मंदिर में रखने से नकारात्मकता आ सकती है और जीवन में कई तरह की परेशानियां हो सकती हैं? वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर के मंदिर में कुछ चीजों को रखने से बचना चाहिए। इन चीजों की वजह से नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है और घर में अशांति पैदा हो सकती है।
मंदिर में भूलकर भी न रखें ये चीजें
- वास्तु शास्त्र, घरों में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह सुनिश्चित करने के लिए दिशा-निर्देशों का एक प्राचीन विज्ञान है। इसका मानना है कि घर के मंदिर में रखी जाने वाली चीजें, वहां रहने वालों के जीवन को प्रभावित कर सकती हैं। इसलिए, वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर के मंदिर में भगवान के रूद्र स्वरूप की प्रतिमा रखने से बचना चाहिए। रूद्र, भगवान शिव का एक उग्र रूप हैं, जो विनाश और परिवर्तन का प्रतीक हैं। माना जाता है कि इनकी मूर्ति घर में नकारात्मक ऊर्जा और अशांति ला सकती है।
- इसके अलावा, खंडित या क्षतिग्रस्त मूर्तियों को भी मंदिर में रखने से बचना चाहिए। ऐसी मूर्तियां नकारात्मकता और अशुभता का प्रतीक मानी जाती हैं। इनके स्थान पर, शांत और सौम्य देवी-देवताओं की मूर्तियां रखना शुभ माना जाता है, जैसे कि भगवान लक्ष्मी, भगवान गणेश, या देवी सरस्वती। यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि मंदिर को हमेशा स्वच्छ और व्यवस्थित रखा जाए। नियमित रूप से दीप प्रज्ज्वलित करें और ताजे फूल और मालाएं अर्पित करें। इन बातों का पालन करके आप अपने घर के मंदिर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बनाए रख सकते हैं और अपने जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त कर सकते हैं।
- वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर के मंदिर में कैंची, चाकू, सुई और अन्य नुकीली चीजें रखने से बचना चाहिए। इन वस्तुओं को मंदिर में रखने से नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है, जिससे घर में कलह, तनाव और आर्थिक परेशानियां हो सकती हैं। नुकीली चीजें हिंसा और क्रोध का प्रतीक मानी जाती हैं, जो मंदिर के शांत और पवित्र वातावरण के विपरीत होती हैं। इन चीजों की मौजूदगी से मन में नकारात्मक विचार आते हैं और एकाग्रता भंग होती है।
- मंदिर, देवी-देवताओं का वासस्थान होने के साथ-साथ, आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र भी होता है। यहाँ सकारात्मकता और पवित्रता का माहौल बनाए रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, मंदिर में कटी-फटी, फटी हुई, या क्षतिग्रस्त धार्मिक पुस्तकों को रखने की मनाही है। ऐसा माना जाता है कि इन पुस्तकों में नकारात्मक ऊर्जा का वास होता है, जो मंदिर के पवित्र वातावरण को दूषित करती है। क्षतिग्रस्त धार्मिक पुस्तकें अधूरे ज्ञान और अधूरी भक्ति का प्रतीक हैं। इनकी वजह से नकारात्मक विचारों का प्रवाह होता है और मन में अशांति पैदा होती है।
(Disclaimer- यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं के आधार पर बताई गई है। MP Breaking News इसकी पुष्टि नहीं करता।)