Guruvar Vrat Katha: सनातन धर्म में सप्ताह के हर दिन का अपना विशेष महत्व है। प्रत्येक दिन किसी न किसी देवी देवता को समर्पित होता है। ठीक वैसे ही गुरुवार का दिन भगवान विष्णु को समर्पित रहता है। गुरुवार को बृहस्पतिवार भी कहा जाता है। इस दिन विधि विधान से भगवान विष्णु की पूजा पाठ करने और व्रत रखने से मनवांछित इच्छाएं पूरी होती है। गुरुवार का व्रत विशेष तौर पर विद्या, बुद्धि, धर्म, शक्ति, वैभव, स्वास्थ्य और संतान प्राप्ति के लिए किया जाता है।
क्या हैं गुरुवार व्रत का महत्व
गुरुवार के दिन खासतौर पर भगवान विष्णु और गुरुदेव की पूजा की जाती है। साथ ही साथ व्रत भी रखा जाता है। इस दिन विशेष रूप से पूजा अर्चना करने और व्रत रखने से भक्तजनों को बुद्धि, ज्ञान और सफलता की प्राप्ति होती है। इसके अलावा दांपत्य जीवन में संतान सुख की प्राप्ति होती है। जिस भी व्यक्ति की कुंडली में गुरु दोष होने के कारण बृहस्पति की स्थिति कमजोर होती है। उन्हें हमेशा गुरुवार के दिन व्रत रखना चाहिए। ऐसा करने से कुंडली में मौजूद दोष खत्म हो जाते हैं।
गुरुवार व्रत कथा
बहुत समय पहले की बात है एक गांव में श्रीधर नाम का ब्राह्मण रहता था। वह प्रत्येक गुरुवार भगवान विष्णु की पूजा करता और व्रत रखता। एक बार गांव के एक दरिद्र व्यक्ति ने ब्राह्मण श्रीधर के पास जाकर भीख मांगी, श्रीधर ने उन्हें भोजन के लिए अपने साथ बुलाया। दरिद्र व्यक्ति बहुत खुश हुआ उसने श्रीधर के साथ बैठकर भोजन ग्रहण किया। फिर उसने श्रीधर से पूछा कि की मैं भी जीवन में धनवान बनना चाहता है इसलिए ऐसा कुछ उपाय बताएं जिससे कि मैं भी अच्छे काम कर सकूं और धनवान बन सकूं। यह सब सुनकर श्रीधर ने भगवान विष्णु के प्रति अपनी भक्ति की बातें सुनाई। श्रीधर ने दरिद्र व्यक्ति को गुरुवार व्रत के महत्व के बारे में बताया और व्रत रखने की सलाह दी। दरिद्र व्यक्ति ने श्रीधर के कहे अनुसार गुरुवार को पूजा करना शुरू किया। ऐसा करते-करते धीरे-धीरे उसकी दुर्दशा में सुधार हुआ। एक दिन वह धनवान और सुखी हो गया। इसलिए गुरुवार का व्रत खासतौर पर ज्ञान, बुद्धि सफलता के लिए रखा जाता है।
(Disclaimer- यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं के आधार पर बताई गई है। MP Breaking News इसकी पुष्टि नहीं करता।)