Vastu Tips: सनातन धर्म में, घर का मंदिर सिर्फ ईश्वर के दर्शन और पूजा-अर्चना का स्थान नहीं है, बल्कि ये आस्था का केंद्र, सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत और वास्तु शास्त्र के सिद्धांतों का अनुप्रयोग भी है। ये वो पवित्र कोना है, जहां देवी-देवताओं का वास माना जाता है, जहां धार्मिक ग्रंथों का संरक्षण होता है और जहां मंत्रों के उच्चारण, दीपक के प्रकाश और धूप की सुगंध के माध्यम से हम अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं।
घर में किस दिशा में रखना चाहिए मंदिर?
वास्तु शास्त्र में, घर के मंदिर के लिए दिशा का विशेष महत्व होता है। पूर्व दिशा को मंदिर निर्माण के लिए सबसे शुभ दिशा माना जाता है। इसके पीछे अनेक वैज्ञानिक और आध्यात्मिक कारण हैं।
सूर्य देव की दिशा
पूर्व दिशा सूर्य देव की दिशा है। सूर्य प्रकाश और ऊर्जा का प्रतीक है। मंदिर को पूर्व दिशा में रखने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जिससे घर में खुशहाली और समृद्धि आती है। सूर्य की शुभ किरणें मंदिर में स्थापित देवी-देवताओं की प्रतिमाओं पर पड़कर घर में सकारात्मकता का वातावरण बनाती हैं।
ईश्वरीय ऊर्जा का प्रवेश
पूर्व दिशा को ईश्वरीय ऊर्जा का प्रवेश द्वार माना जाता है। इस दिशा में मंदिर बनाने से दिव्य ऊर्जा का प्रवाह होता है, जिससे घर में शांति और सुख-समृद्धि का वास होता है। ईश्वरीय ऊर्जा नकारात्मकता को दूर करती है और घर में सकारात्मकता का संचार करती है।
मानसिक शांति और एकाग्रता
पूर्व दिशा में मंदिर होने से मन को शांति मिलती है और एकाग्रता बढ़ती है। इस दिशा में पूजा-अर्चना करने से मन शांत होता है और नकारात्मक विचार दूर होते हैं। यही कारण है कि सुबह सूर्योदय के समय पूजा करना शुभ माना जाता है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार
वास्तु शास्त्र के अनुसार, मंदिर को घर के मुख्य द्वार से दूर रखना चाहिए। मंदिर को शयनकक्ष, स्नानघर और रसोईघर से अलग रखना भी शुभ माना जाता है। मंदिर में भगवान की प्रतिमाओं को उचित आसन पर स्थापित करना चाहिए और मंदिर को सदैव स्वच्छ रखना चाहिए।
इन बातों का रखें विशेष ध्यान
दक्षिण दिशा में दीपक न जलाएं
मंदिर में दक्षिण दिशा को यमराज की दिशा माना जाता है। इसलिए, इस दिशा में दीपक जलाना अशुभ माना जाता है। यह आर्थिक नुकसान का कारण बन सकता है। दीपक हमेशा पूर्व या उत्तर दिशा में जलाना चाहिए।
मंदिर को स्वच्छ रखें
मंदिर को हमेशा साफ-सुथरा रखना चाहिए। गंदगी देवी-देवताओं को नाराज करती है और उनके वास को बाधित करती है। नियमित रूप से मंदिर की सफाई करें और धूप-दीप जलाएं।
पूजा करते समय मुख पश्चिम दिशा में रखें
घर में पूजा करते समय साधक का मुख पश्चिम दिशा में होना शुभ माना जाता है। इस दिशा में सूर्यास्त होता है, जो कि भगवान विष्णु का प्रतीक है। पूजा करते समय इस दिशा में मुख रखने से मन में एकाग्रता बढ़ती है और भक्तिभाव जागृत होता है।
धार्मिक ग्रंथ और पूजा सामग्री
घर में मंदिर के पास धार्मिक ग्रंथों और पूजा सामग्री को व्यवस्थित रूप से रखना चाहिए। इन ग्रंथों का नियमित रूप से पाठ करना और पूजा-अर्चना करना चाहिए। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और मन को शांति मिलती है।
(Disclaimer- यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं के आधार पर बताई गई है। MP Breaking News इसकी पुष्टि नहीं करता।)