Vastu Tips: बाथरूम का दरवाजा किस दिशा में होना चाहिए? जानें क्या कहता है वास्तु शास्त्र

Vastu Tips: वास्तु शास्त्र में घर के विभिन्न हिस्सों के लिए दिशाओं का निर्धारण महत्वपूर्ण होता है। बाथरूम भी एक ऐसा क्षेत्र है जिसके निर्माण और रखरखाव में वास्तु के नियमों का पालन करना आवश्यक होता है।

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Vastu Tips: हम सभी अपने घरों में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बनाए रखना चाहते हैं, जहां शांति और सौभाग्य का वास हो। वास्तु शास्त्र सदियों से इस लक्ष्य को प्राप्त करने में हमारा मार्गदर्शन कर रहा है। यह प्राचीन भारतीय वास्तु विज्ञान घर के विभिन्न हिस्सों के निर्माण और उनके आपसी संबंधों पर बल देता है, यह सुनिश्चित करने के लिए कि ऊर्जा का प्रवाह सकारात्मक और सामंजस्यपूर्ण हो।

घर के हर क्षेत्र का अपना महत्व होता है, और बाथरूम कोई अपवाद नहीं है। वास्तु में, बाथरूम को एक ऐसा स्थान माना जाता है जहां ऊर्जा का निरंतर प्रवाह होता है। यह ऊर्जा सकारात्मक और नकारात्मक दोनों रूपों में हो सकती है। यही कारण है कि वास्तु शास्त्र में बाथरूम से जुड़े दिशानिर्देशों का पालन करने पर बल दिया जाता है। इस लेख में, हम विशेष रूप से बाथरूम के दरवाजे पर ध्यान केंद्रित करेंगे।

किस दिशा में होना चाहिए बाथरूम का डोर?

ज्योतिष के अनुसार, बाथरूम का दरवाजा वास्तु में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसका कारण यह है कि यह दरवाजा ही है जो ऊर्जा के प्रवाह को नियंत्रित करता है। यदि दरवाजा गलत दिशा में खुलता है, तो यह नकारात्मक ऊर्जा को घर में प्रवेश दे सकता है, जिससे वास्तु दोष उत्पन्न हो सकते हैं और घर के वातावरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

घर में सकारात्मक ऊर्जा के लिए बाथरूम की दिशा महत्वपूर्ण है। उत्तर या उत्तर-पश्चिम में बना बाथरूम अच्छा माना जाता है क्योंकि यह नकारात्मकता कम कर सकारात्मकता बढ़ाता है। वहीं, दक्षिण, दक्षिण-पश्चिम और दक्षिण-पूर्व दिशा से बचें। लेकिन अपवाद भी हैं – उत्तर-पश्चिम के बाथरूम का दरवाजा दक्षिण-पूर्व खुल सकता है, और अगर दरवाजा उत्तर या पूर्व दिशा में है तो बाथरूम किसी भी दिशा में हो सकता है। याद रखें, टूटा हुआ बाथरूम का दरवाजा अशुभ होता है!

(Disclaimer- यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं के आधार पर बताई गई है। MP Breaking News इसकी पुष्टि नहीं करता।)

 

 

 

 


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भावना चौबे

भावना चौबे

इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं। मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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