Vat Savitri Vrat 2023: हिंदू धर्म में वट सावित्री व्रत का बेहद ही विशेष महत्व होता है। हर साल महिलाएं अपने पतियों के लंबी उम्र के लिए और अच्छे स्वास्थ्य के लिए या व्रत रखती हैं। वट सावित्री की पूजा के दिन बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है। मान्यताएं हैं कि वट वृक्ष में त्रिदेव का वास होता है। इस दिन पूजा करने से पति की अकाल मृत्यु टल जाती है और पति पर आने वाले संकट दूर होते हैं। साथ ही दांपत्य जीवन भी सुखमय होता है।
शुभ संयोग और मुहूर्त
जेठ माह की अमावस्या और पूर्णिमा तिथि पर यह व्रत मनाया जाता है 19 मई को अमावस्या व्रत और 3 जून को पूर्णिमा व्रत रखा जाएगा। 19 मई को शुभ मुहूर्त सुबह 9:19 बजे से शुरू होकर 10:42 बजे तक रहेगा। इस दिन शुभन योग में पूजा होगी। वहीं 30 जून को मुहूर्त सुबह 7:16 बजे से शुरू होकर 8:59 बजे तक रहेगा। इस दिन रवि, सिद्धि और शिव योग में पूजा होगी।
ऐसे करें पूजा
- पूजा करने महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान करके शुद्ध वस्त्र और आभूषण धारण करें। 16 शृंगार का विशेष महत्व होता है।
- इस दिन सभी स्त्रियां 3 दिन पहले से ही उपवास रखती हैं लेकिन कई स्त्रियां केवल वट सावित्री के दिन ही उपवास रखती हैं और पूजा बाद भोजन कर लेती है।
- पूजा वटवृक्ष के नीचे की जाती है। पूजा की थाली में आवश्यक सामग्रियों को रख लें।
- उसके बाद सत्यवान और सावित्री की मूर्तियां निकालकर उसे वृक्ष की जड़ में स्थापित कर लें।
- मूर्तियों को लाल वस्त्र अर्पित करें।
- बांस की एक टोकरी में 7 तरह के अनाज रखें, इसे कपड़े के दो टुकड़ों से ढक लें।
- दूसरी बांस की टोकरी में सावित्री की प्रतिमा रखते हैं, जिसके साथ कुमकुम, धुप, अक्षत, मोली इत्यादि सामग्री भी रखी जाती है।
- अब वट वृक्ष में जल चढ़ाकर कुमकुम और अक्षत अर्पित करें और देवी सावित्री की पूजा करें।
- इसके बाद बांस के बने पंखे से सत्यवान सावित्री की मूर्ति को हवा करें।
- फिर वट वृक्ष के पत्ते को अपने बालों में लगाएं।
- प्रार्थना करते हुए लाल मोली/सूत के धागे को लेकर वट वृक्ष के चारों तरफ घूमें। 7 बार परिक्रमा करें।
- वट सावित्री की कथा जरूर सुने।
- अपने सामर्थ्य अनुसार दान-दक्षिणा करें। ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को को दान देना बहुत ही शुभ माना जाता है।
- गुड़ और चना का भोग चढ़ाना चाहिए।
(Disclaimer: इस लेख का उद्देश्य जानकारी साझा करना है। MPBreakingNews इन बातों की पुष्टि नहीं करता।)