Wednesday Special: हिंदू धर्म में, सप्ताह के प्रत्येक दिन को किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित किया गया है। इसी क्रम में, बुधवार का दिन भगवान गणेश, जिन्हें विघ्नहर्ता और बुद्धि का देवता भी कहा जाता है, को समर्पित है। इस दिन, भक्तगण भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करते हैं और उनसे सुख-समृद्धि, ज्ञान और सफलता की प्राप्ति की कामना करते हैं। मान्यता है कि बुधवार के दिन भगवान गणेश की पूजा करने से घर में सुख-शांति का वास होता है और धन संबंधी परेशानियां दूर होती हैं। इसके अलावा, गणेश स्तोत्र का पाठ करना भी इस दिन अत्यंत शुभ माना जाता है।
बुधवार पूजा का महत्त्व
भगवान गणेश को विघ्नहर्ता माना जाता है, इसलिए उनकी पूजा करने से जीवन में आने वाली बाधाएं और परेशानियां दूर होती हैं। भगवान गणेश को ज्ञान और बुद्धि का देवता भी कहा जाता है। उनकी पूजा करने से विद्या और ज्ञान में वृद्धि होती है। भगवान गणेश समृद्धि के देवता भी हैं। उनकी पूजा करने से घर-परिवार में सुख-शांति और समृद्धि आती है। भगवान गणेश को शुभ कार्यों का प्रारंभकर्ता माना जाता है। इसलिए, किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत करने से पहले उनकी पूजा की जाती है।
गणेश स्तोत्र
प्रणम्य शिरसा देवं गौरी विनायकम् ।
भक्तावासं स्मेर नित्यमाय्ः कामार्थसिद्धये ॥
प्रथमं वक्रतुडं च एकदंत द्वितीयकम् ।
तृतियं कृष्णपिंगात्क्षं गजववत्रं चतुर्थकम् ॥
लंबोदरं पंचम च पष्ठं विकटमेव च ।
सप्तमं विघ्नराजेंद्रं धूम्रवर्ण तथाष्टमम् ॥
नवमं भाल चंद्रं च दशमं तु विनायकम् ।
एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजानन् ॥
द्वादशैतानि नामानि त्रिसंघ्यंयः पठेन्नरः ।
न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं प्रभो ॥
विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम् ।
पुत्रार्थी लभते पुत्रान्मो क्षार्थी लभते गतिम् ॥
जपेद्णपतिस्तोत्रं षडिभर्मासैः फलं लभते ।
संवत्सरेण सिद्धिंच लभते नात्र संशयः ॥
अष्टभ्यो ब्राह्मणे भ्यश्र्च लिखित्वा फलं लभते ।
तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादतः ॥
॥ इति श्री नारद पुराणे संकष्टनाशनं नाम श्री गणपति स्तोत्रं संपूर्णम् ॥
संतान गणपति स्तोत्र
नमोऽस्तु गणनाथाय सिद्धी बुद्धि युताय च।
सर्वप्रदाय देवाय पुत्र वृद्धि प्रदाय च।।
गुरु दराय गुरवे गोप्त्रे गुह्यासिताय ते।
गोप्याय गोपिताशेष भुवनाय चिदात्मने।।
विश्व मूलाय भव्याय विश्वसृष्टि करायते।
नमो नमस्ते सत्याय सत्य पूर्णाय शुण्डिने।।
एकदन्ताय शुद्धाय सुमुखाय नमो नम:।
प्रपन्न जन पालाय प्रणतार्ति विनाशिने।।
शरणं भव देवेश सन्तति सुदृढ़ां कुरु।
भविष्यन्ति च ये पुत्रा मत्कुले गण नायक।।
ते सर्वे तव पूजार्थम विरता: स्यु:रवरो मत:।
पुत्रप्रदमिदं स्तोत्रं सर्व सिद्धि प्रदायकम्।।
(Disclaimer- यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं के आधार पर बताई गई है। MP Breaking News इसकी पुष्टि नहीं करता।)