Hindu Rituals : हिंदू धर्म में सोलह संस्कार का वर्णन है। सोलह संस्कार जन्म से मृत्यु तक के महत्वपूर्ण क्षणों जैसे जन्म, नामकरण, उपनयन, विवाह, आदि को संकेतित करते हैं। इन संस्कारों का महत्व जन्म से लेकर मृत्यु तक होता है। मृत्यु को अंतिम संस्कार माना जाता है, जिसे ‘अन्त्येष्टि’ या ‘अंतिम क्रिया’ कहा जाता है। अंतिम संस्कार में मृतक को धार्मिक और सामाजिक रूप से श्रद्धांजलि दी जाती है। साथ ही उसकी शरीर को धर्म और समाज के नियमानुसार अग्नि में समाहित की जाती है। वैसे तो आप सब जानते होंगे कि इंसान जब अपनी आखिरी सांसें ले रहा होता है तो लोग उनके मुंह में तुलसी और गंगाजल देते हैं। तो क्या आपने कभी ये सोचा है कि ऐसा क्यों किया जाता है। यदि नहीं, तो चलिए आज हम आपको इसके पीछे का धार्मिक कारण बताते हैं…
तुलसी
हिंदू धर्म में तुलसी को बहुत महत्व दिया जाता है। तुलसी का पौधा घरों में आमतौर पर पूजनीय माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, मां तुलसी भगवान विष्णु की पत्नी है जो कि उनके सिर पर सजती है। वहीं, मृत्यु के समय मुंह में तुलसी का पत्ता रखने से यम किसी प्रकार का दंड नहीं देते और ना ही कष्ट पहुंचाते हैं। इस प्रक्रिया का उद्देश्य अंतिम समय में मृतक को शांति देना होता है। इसके साथ ही उसकी आत्मा को शांति और शुद्धि की दिशा में भटकने से बचने का रास्ता मिलता है।
वहीं, वैज्ञानिक दृष्टि के अनुसार, तुलसी को आयुर्वेद में महत्वपूर्ण औषधि माना जाता है। इसे विभिन्न रोगों के इलाज में उपयोग किया जाता है। इसकी औषधीय गुण से लोगों को आराम मिलता है। तुलसी में एंटीबैक्टीरियल, एंटीवायरल और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं जो सेहत के लिए फायदेमंद होते हैं। इसलिए प्राण त्यागने वाले व्यक्ति के मुंह में इसका पत्ता खिलाना चाहिए ताकि उसे सारे कष्टों से राहत मिल सके।
गंगाजल
गंगाजल को हिंदू धर्म से सबसे पवित्र माना जाता है। इसे स्वर्ग की नदी भी कहा जाता है। इनका जल पूजा, पाठ, अनुष्ठान आदि में शुद्धता के लिए मृत्यु के समय मुंह में गंगाजल देने से दोनों देवों की कृपा बरसती है, जिस कारण शरीर से आत्मा को कष्ट नहीं होता और वह आसानी से शरीर त्याग पाते हैं। वहीं, मां गंगा की कृपा से यमदूत उस आत्मा को सताते भी नहीं है, जिससे जीव के अगले जीवन की यात्रा बहुत ही आसान हो जाता है। इसके अलावा, मृत्यु के समय मुंह में जल डालने का एक कारण यह भी है कि शरीर छोड़ते समय व्यक्ति प्यासा नहीं रह जाए।
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