Utpanna Ekadashi 2023 : उत्पन्ना एकादशी मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष में आती है। यह हिन्दू पंचांग में महत्त्वपूर्ण मानी जाती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। भक्त उत्पन्ना एकादशी पर उपवास करते हैं और भगवान विष्णु का भजन करते हैं। यह एकादशी मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष को मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को रखने से व्यक्ति को आध्यात्मिक और शारीरिक शुद्धि मिलती है। इस दौरान उपासना, पूजा और ध्यान के लिए अच्छी मानी जाती है। तो चलिए आज हम आपको इसकी कथा, शुभ मुहूर्त और पूजन विधि बताते हैं…
शुभ मुहूर्त
ज्योतिष के अनुसार, उत्पन्ना एकादशी 8 दिसंबर को सुबह 5 बजकर 6 मिनट पर शुरू होकर अगले दिन यानी 9 दिसंबर को सुबह 6 बजकर 31 मिनट पर समाप्त होगी। इस दौरान 8 दिसंबर को सुबह 7 बजकर 1 मिनट से 10 बजकर 54 मिनट तक पूजा कर सकते हैं जो कि शुभ मुहूर्त होगा। वहीं, व्रत पारण 9 दिसंबर को दोपहर 1:15 बजे से लेकर 3:20 तक किया जाएगा।
पूजन की विधि
- पूजा स्थल को पवित्र बनाएं।
- पूजा शुरू करने से पहले ससंकल्प लें।
- जिसके बाद एक साफ और साधारण पूजा स्थल तैयार करें, जहां आप पूजा कर सकते हैं।
- पूजा के लिए आवश्यक सामग्री जैसे फूल, जल, दीपक, धूप, नैवेद्य, तुलसी पत्ते, फल आदि को तैयार करें।
- फिर भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र को जल से स्नान कराएं।
- जिसके बाद भगवान विष्णु की पूजा करें।
- मन्त्रों का जाप करें। फिर धूप, दीप, नैवेद्य, फल, फूल आदि समर्पित करें।
- अंत में भगवान की आरती उतारें और उनकी स्तुति करें।
विष्णु पूजन मंत्र
- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।
- ॐ नमो नारायणाय।
- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः।
- श्री विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र।
कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, सतयुग में एक नाड़ीजंघ नाम का राक्षस था। जिसका पुत्र मुर शक्तिशाली दानव था, जिसे अपनी ताकत से सभी देवताओं को जीत लिया था। जिससे परेशान होकर सभी भगवान शिव के पास पहुंचे, जिनकी व्यथा सुनकर भगवान शंकर ने सभी को भगवान विष्णु के पास जाने के लिए कहा, जहां पहुंचकर सभी ने श्री हरि को अपनी बात बताई। इसके बाद भगवान विष्णु मुर से युद्ध करने पहुंचे। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, यह युद्ध 10 वर्षों तक चला, जिसके कारण भगवान विष्णु काफी थक गए और बद्री आश्रम गुफा में जाकर विश्राम करने लगे। जिनका पीछा करते-करते दावन भी वहां पहुंच गया और जैसे ही वह भगवान पर वार करने के लिए हथियार उठाया तभी उनके शरीर से एक देवी प्रकट हुईं, जिन्होंने उस राक्षस का वध कर दिया। उसी दिन से उत्पन्ना एकादशी मनाई जाने लगी।
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