Ashta Laxmi Puja : देवी लक्ष्मी हिंदू धर्म में धन, समृद्धि, सौभाग्य, ऐश्वर्य, श्रेष्ठता और सम्पत्ति की देवी मानी जाती हैं। उन्हें अष्ट लक्ष्मी के रूप में पूजा जाता है, जिनमें से प्रत्येक रूप विशेष प्रकार की समृद्धि और धन के प्रतीक हैं। खासकर शुक्रवार के दिन विधि-विधान से पूजा करने से मां लक्ष्मी की कृपा सदैव आपपर बनी रहती है। तो चलिए आज हम आपको माता अष्टलक्ष्मी के रूपों का वर्णन विस्तार से बताते हैं…
जानें अष्ट रुप
धन लक्ष्मी: भौतिक धन की देवी मानी जाती हैं। वह समृद्धि, धन, ऐश्वर्य और सम्पत्ति की देवी हैं, जो अपने भक्तों को आर्थिक रूप से सुख और समृद्धि प्रदान करती हैं। वे धन, संपत्ति और आर्थिक प्रगति का प्रतीक मानी जाती हैं।
धान्य लक्ष्मी: ये देवी अच्छी फसल, फल और अन्न की प्राप्ति में सहायता करती हैं। उन्हें भोजन, अन्न, और अनाज की समृद्धि की देवी माना जाता है। वे खाद्य संसाधनों की प्राप्ति और संरक्षण में सहायता करती हैं, जिससे भूखमरी और खाद्य सुरक्षा में सुधार होता है।
गजलक्ष्मी देवी: इन्हें शक्ति और सर्वोत्तमता की देवी माना जाता है। वे ऐश्वर्य, समृद्धि, धन, और शक्ति की प्रतीक हैं। गजलक्ष्मी का ध्यान और पूजन धन, संपत्ति, सफलता, और समृद्धि में सहायता करता है। साथ ही शक्ति और अधिकार को बढ़ावा देता है।
संतान लक्ष्मी: ये देवी हैं जो संतान सुख, संतान की समृद्धि के लिए आशीर्वाद देती हैं। वे प्रसन्नता, संतान के उत्तम संपन्नता और परिवारिक सुख-शांति में सहायता करती हैं। वे परिवार के आनंद और खुशी को बढ़ावा देती हैं।
वीर लक्ष्मी: इस देवी को साहस, शक्ति और पराक्रम का प्रतीक माना जाता है। वे साहस, वीरता, और शक्ति को प्रतिनिधित करती हैं। वीर लक्ष्मी का ध्यान और पूजन वीरता, साहस और निर्भीकता को बढ़ाने के लिए किया जाता है।
विजया लक्ष्मी: इन्हें विजय, सफलता, जीत और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। विजया लक्ष्मी की पूजा और उनका ध्यान जीत, सफलता, प्रगति के लिए की जाती है ताकि उन्हें समृद्धि और उन्नति मिल सके।
ऐश्वर्य लक्ष्मी: इस देवी को ऐश्वर्य और आराम का प्रतीक माना जाता है। वे ऐश्वर्य, सुख और सामृद्धि में सहायता करती हैं।
आदि लक्ष्मी: इन्हें भारतीय पौराणिक ग्रंथों में सबसे प्राचीन और महत्त्वपूर्ण लक्ष्मी रूप माना जाता है। वह ज्ञान, बुद्धि और साक्षात्कार की देवी मानी जाती हैं। वे मानव जीवन में बुद्धि, ज्ञान, और समझ की प्राप्ति में सहायता करती हैं।
अष्ट लक्ष्मी पूजन विधि
- पूजा के लिए एक साफ और शुद्ध स्थान को तैयार करें। यहां पर एक आसन रखें, जहां आप पूजा करेंगे।
- एक कलश में पानी भरें और उसे स्थापित करें। उसमें स्वस्तिक और श्री चिन्ह बनाएं।
- अष्टलक्ष्मी की मूर्तियों को विराजित करें।
- इस दौरान विशेष मंत्रो “ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं विजय लक्ष्म्यै नमः” का जाप करें और हर लक्ष्मी रूप की उपासना करें।
- उन्हें रंगों से सजाएं। साथ ही पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य और वस्त्र चढ़ाएं।
- अखंड दीप की आरती करें।
- जिसके बाद पूजा के प्रसाद को भक्तों को वितरित करें और इसे खुद भी खाएं।
(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।)