Yogini Ekadashi 2024: इस काम के बिना अधूरा है योगिनी एकादशी व्रत, पापों से मुक्ति का दिव्य मार्ग

Yogini Ekadashi 2024: आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को योगिनी एकादशी कहा जाता है। यह भगवान विष्णु को समर्पित एक पवित्र तिथि है, जो सृष्टि के पालनकर्ता और रक्षक के रूप में विख्यात हैं।

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Yogini Ekadashi 2024: हिंदू धर्मशास्त्रों में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। महीने में दो बार आने वाली यह पवित्र तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है, जो सृष्टि के पालनकर्ता और रक्षक के रूप में विख्यात हैं। इन एकादशियों में से एक आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष में पड़ती है, जिसे योगिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। यह आध्यात्मिक जागरण और दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है।

कब है योगिनी एकादशी

पंचांग के अनुसार, योगिनी एकादशी का व्रत 2 जुलाई को रखा जाएगा। इस व्रत को करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है, पापों का नाश होता है और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। आध्यात्मिक विकास और मोक्ष प्राप्ति के लिए भी यह व्रत महत्वपूर्ण माना जाता है।

योगिनी एकादशी का महत्व

योगिनी एकादशी का व्रत अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है। इस व्रत को रखने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है, पापों का नाश होता है और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। साथ ही, यह व्रत आध्यात्मिक विकास, मन की शुद्धि और जीवन में सुख-समृद्धि लाने में सहायक होता है। ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत को रखने से भक्तों को कुष्ठ रोग, श्वास संबंधी रोगों और अन्य व्याधियों से मुक्ति मिलती है।

व्रत विधि

योगिनी एकादशी के शुभ दिन पर सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें और विधिपूर्वक उनकी पूजा-अर्चना करें। इस व्रत में दान-पुण्य का विशेष महत्व माना जाता है। आप गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन दान कर सकते हैं तथा ब्राह्मणों को भोजन करा सकते हैं। इस दिन सात्विक भोजन ग्रहण करें, जिसमें लहसुन, प्याज, मसूर और चने आदि का सेवन वर्जित होता है। रात्रि में जागरण करके भगवान विष्णु के भजनों का उच्चारण करें। अगले दिन यानी द्वादशी तिथि पर सूर्योदय के बाद पारण करके भोजन ग्रहण करें।

योगिनी एकादशी व्रत कथा

स्वर्गलोक में राजा कुबेर के एक माली, हेम, प्रतिदिन पूजा के लिए सुंदर फूल लाते थे। एक दिन, लौटने में देरी होने पर क्रोधित राजा कुबेर को हेम ने ईश्वर से बढ़कर पत्नी के प्रति आसक्ति दिखाई। इससे कुपित होकर राजा ने हेम को श्राप दिया – स्वर्ग से पतन तथा धरती पर कुष्ठ रोग और पत्नी वियोग का कष्ट। वर्षों कष्ट सहने के बाद हेम का मार्कण्डेय ऋषि से संयोग हुआ। ऋषि ने उन्हें योगिनी एकादशी व्रत के महत्व के बारे में बताया। विधि-विधान से व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा करने पर हेम के पापों का नाश हुआ और उन्हें पुनः स्वर्गलोक लौटने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।

(Disclaimer- यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं के आधार पर बताई गई है। MP Breaking News इसकी पुष्टि नहीं करता।)


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भावना चौबे

भावना चौबे

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