नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। IPL प्रेमियों के लिए खुशखबरी है। इस साल होने वाले IPL के लिए कल से खरीदारी चालू हो जाएगी इसके लिए 12 और 13 फरवरी को डिसाइड किया गया है नीलामी के लिए। अगर किसी फ्रेंचाइजी के पास खिलाड़ी खरीदने के लिए पैसे कम पड़ जाते हैं तो वह साइलेंट पर कर का यूज़ कर सकता है आइए जानते हैं इसके बारे में
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जब इंडियन प्रीमियर लीग आईपीएल की नीलामी की बात आती है तो फ्रेंचाइजी को कुल रुपए का एक बैलेंस दिया जाता है जो कि 90 करोड़ होता है। बोली लगते समय खिलाड़ियों को लेकर फ्रेंचाइजीयों के बीच में रस्साकशी शुरू हो जाती है और अंत में जो बोली फाइनल होती है वह पूरे पैसे उठाकर खिलाड़ी को दे दिए जाते हैं।
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क्या होगा यदि जब बोली लगाते समय किसी एक ही खिलाड़ी पर पूरे पैसे खर्च कर दिया जाए? हालांकि अभी तक ऐसी स्थिति नहीं आई है आईपीएल T20 में। अगर ऐसी स्थिति आती है तो आईपीएल प्रबंधन के पास इसके लिए एक खास नियम है जिसे साइलेंट टाईब्रेकर कहा जाता है।
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साइलेंट टाई ब्रेकर 2010 से अस्तित्व में है और इसका उपयोग भी कई बार किया जा चुका है। पहले बोलियां कैंपिंग पर हुआ करती थी। किरण पोलार्ड शेन बांड और रविंद्र जडेजा को इसी नियम के तहत आईपीएल नीलामी में खरीदा गया है। यह नियम तब सब नहीं आता है जब किसी फ्रेंचाइजी के पूरे पैसे खर्च हो जाते हैं और नए खिलाड़ी को खरीदने के लिए पैसा नहीं बचता है।
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साइलेंट टाईब्रेकर नियम उस समय सामने आएगा जब एक टीम की एक खिलाड़ी के लिए अंतिम बोली का मिलान दूसरे फ्रेंचाइजी से कर दिया जाता है। लेकिन उस स्थिति में दोनों ही फ्रेंचाइजी के पास पैसे नहीं होते हैं। खिलाड़ी को पैसे खर्च करने के लिए नहीं होने के बाद भी साइलेंट टाईब्रेकर के द्वारा खिलाड़ी खरीदा जा सकता है।
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इसके लिए पैनल एक पाउंड साइन करवाता है दोनों ही फ्रेंचाइजी से उसके बाद एक अमाउंट बताया जाता है जिसे दोनों ही फ्रेंचाइजी को जमा करना होता है। यह ऐसा खिलाड़ी को ना जाकर सीधे बीसीसीआई को जाता है। साइलेंट टाईब्रेकर में बोली लगाने की कोई भी सीमा नहीं है फ्रेंचाइजी द्वारा जमा की जाने वाली राशि को पर्स बैलेंस से बाहर भारतीय क्रिकेट बोर्ड बीसीसीआई को जमा करना होगा।