फ्री राशन के नाम पर किया जा रहा बड़ा फ्रॉड, जानिए क्या है यह नया स्केम!

पिछले कुछ समय में Cyber Scam की घटनाओं में वृद्धि देखने को मिली है। दरअसल अब गृह मंत्रालय और उत्तराखंड पुलिस ने एक बड़े अंतरराष्ट्रीय साइबर धोखाधड़ी गिरोह का पर्दाफाश किया है।

Rishabh Namdev
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आज के इस बदलते दौर में इंटरनेट और मोबाइल हमारी जरूरत बन गए हैं। दरअसल इनका उपयोग तेजी से बढ़ा है। लेकिन इसके साथ ही साइबर अपराध भी तेजी से बढ़ रहा हैं। दरअसल धोखाधड़ी करने वाले स्कैमर्स अब लोगों को ठगने के लिए नए-नए तरीके अपना रहे हैं। बता दें कि हाल ही में गृह मंत्रालय और उत्तराखंड पुलिस ने एक बड़े अंतरराष्ट्रीय साइबर धोखाधड़ी गिरोह का पर्दाफाश किया है।

दरअसल जानकारी में सामने आया है कि यह खतरनाक गिरोह न सिर्फ भारत में ही, बल्कि चीन, थाईलैंड, म्यांमार, वियतनाम और मलेशिया जैसे देशों में भी सक्रीय रहा है। दरअसल यह गिरोह लोगों को अपना शिकार नए नए तरीकों से बना रहा था। जानकारी में सामने आया हैं कि इनके द्वारा सिम कार्ड्स का इस्तेमाल कर फर्जी कॉल और मैसेज के जरिए लोगों को धोखा देने का काम किया जा रहा था।

20 हजार से अधिक सिम कार्ड्स का इस्तेमाल

जानकारी के अनुसार इस रैकेट की सबसे हैरान करने वाली बात यह भी बताई जा रही है कि इस खतरनाक गिरोह ने 20 हजार से अधिक सिम कार्ड्स का इस्तेमाल किया है। वहीं इन सिम कार्ड्स के जरिए इन ठगों ने कई भारतीय नागरिकों की बैंक संबंधी और अन्य संवेदनशील जानकारी चुरा लिए हैं। वहीं पुलिस की जांच के मुताबिक, इस गिरोह ने अब तक 1 करोड़ रुपये से ज्यादा की ठगी की है।

वहीं पुलिस ने छापेमारी मारते हुए इनके पास से 1,816 सिम कार्ड्स, 5 मोबाइल फोन, 2 चेक बुक्स और 2 बायोमेट्रिक उपकरण जब्त किए हैं। जानकारी के अनुसार यह सामग्री इनके द्वारा धोखाधड़ी में इस्तेमाल की जा रही थी।

जानिए कैसे करते थे फ्रॉड

दरअसल यह रैकेट एक योजना बनाकर हर काम को संचालित करता था। जानकारी के सामने आया है कि ठग सबसे पहले फर्जी सरकारी योजनाओं का लालच देकर लोगों से उनकी व्यक्तिगत जानकारी हासिल कर लेते थे। दरअसल यह उन्हें मुफ्त राशन या अन्य सरकारी लाभ मिलने की बात कहते थे। वहीं यह गिरोह खासकर ग्रामीण इलाकों में सक्रिय था, जहां डिजिटल जागरूकता की कमी के कारण लोग आसानी से इनके बहकावे में आ जाते थे।

जिसके बाद यह ठग उनके घर जाकर पहचान पत्र और बायोमेट्रिक जानकारी हासिल करते थे, जिन्हें बाद में सिम कार्ड जारी करने के लिए इस्तेमाल करते थे। वहीं ये सिम कार्ड फिर अन्य ठगों को बेचे जाते थे, जो इनका दुरुपयोग किया करते थे।


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मैंने श्री वैष्णव विद्यापीठ विश्वविद्यालय इंदौर से जनसंचार एवं पत्रकारिता में स्नातक की पढ़ाई पूरी की है। मैं पत्रकारिता में आने वाले समय में अच्छे प्रदर्शन और कार्य अनुभव की आशा कर रहा हूं। मैंने अपने जीवन में काम करते हुए देश के निचले स्तर को गहराई से जाना है। जिसके चलते मैं एक सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार बनने की इच्छा रखता हूं।

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