टेक्नोलॉजी, डेस्क रिपोर्ट । ED और मनी लॉन्ड्रिंग के केस में उलझी बॉलीवुड एक्ट्रेस जैकलीन फर्नांडिस के केस में नया टर्म आया है, स्पूफ कॉल। बता दें कि ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग केस में अपनी चार्जशीट दिखल कर दी है जिसमे ईडी ने लिखा है कि सुकेश चंद्रशेखर की ने जैकलीन को स्पूफ कॉल किया था और इस कॉल के लिए उसने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के ऑफिस का नंबर का उपयोग किया था। स्पूफिंग की वजह से ही जैकलीन ये यकीन करने पर मजबूरी हुईं कि उन्हें गृह मंत्रालय से ही फोन आ रहा है। इसक ख़बर के बाद से सवाल उठ रहे हैं कि आखिर ये स्पूफिंग क्या है और कैसे होती हैं?
क्या है कॉल स्पूफिंग?
स्पूफिंग को आसान भाषा में कुछ यूं समझे कि जब कोई कॉल करने के लिए किसी और के नंबर का उपयोग करे, लेकिन जिसके नंबर का उपयोग हो रहा है नंबर उसी के पास होते हुए भी उसे इस बात का पता ही न चले, इसे कॉल स्पूफिंग कहते हैं। कॉल्स में ये धांधली साल 2004 के आसपास शुरू हुई थी, लिहाजा उस समय स्पूफिंग को अंजाम देने के लिए टेक्निकल स्किल्स की आवश्यकता थी। लेकिन अब VoIP की वजह से ये काम बहुत आसान हो गया है। VoIP का मतबल होता है वॉयस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल, जिसमें कॉल करते समय इंटरनेट की मदद लेनी पड़ती है। इस तकनीक के अलावा एक अन्य तकनीक है ऑरेंज बॉक्स. लेकिन इस तकनीक का उपयोग किसी खास को टारगेट करने के लिए किया जाता है। माना जा रहा है कि इसी तकनीक से जैकलीन को कॉल गया था.
क्यों होता है उपयोग?
कॉल स्पूफिंग की शुरूआत ही यूजर आईडी बदलने से होती है। इसका उपयोग बड़े स्कैम और बड़ी घटनाओं को अंजाम देने के लिए किया जाता है। अक्सर किडनैपिंग के केसेस में स्पूफिंग होती रही है, जिसमें किडनैपर्स विक्टिम के नंबर से ही परिजनों को कॉल करते हैं। इसी तकनीक से ही प्रैंक भी किए जाते हैं है जिसमें दोस्त को ही पता नहीं होता और उसके नंबर से फैमिली में किडनैपिंग का फोन चला जाता है। पैसों की ठगी के लिए भी स्पूफिंग का उपयोग होता रहा है जिसमें किसी जान पहचान वाले के नंबर को स्पूफ कर आपके पास फोन आता है और पैसों की डिमांड की जाती है।
इतना ही नहीं कुछ लॉ एनफोर्समेंट एंजेंसी क्रिमिनल्स को पकड़ने के लिए स्पूफिंग का उपयोग करती हैं ताकि क्रिमिनल्स को झांसा देकर पकड़ा जा सके।
क्या बरतें सावधानी
स्पूफिंग का पता लगाने के लिए अब तक कोई पुख्ता तकनीक नहीं मिल सकी है। एंटीवायरस या किसी अन्य तरीके से स्पूफिंग को रोकने का भी कोई तरीका नहीं है। इसलिए स्पूफिंग की आशंका होने पर खुद ही सावधान रहना जरूरी है। अगर आपके पास किसी जाने पहचाने नंबर से भी रूपयों पैसों के लिए कॉल आता है तो उसे क्रॉस चैक करने के बाद ही पैसे ट्रांसफर करने का जोखिम उठाएं। अगर किसी मंत्री या वीआईपी के नंबर से कॉल आता है तो खुद अपने स्तर पर उसकी जांच जरूर करें। खासतौर से अगर आपको फोन पर किसी नंबर को प्रेस करने के लिए कहा जाए या फिर ओटीपी या कोई अन्य ऐसी डिजिट शेयर करने के लिए कहा जाए जो सिर्फ आपको पता होना चाहिए तो ऐसे नंबर को डिसकनेक्ट कर तुरंत जांच शुरू करें।