सफर, तफरीह, मशक्कत नहीं, जिंदगी बदलकर आने का नाम है हज : पीर साहब

भोपाल। हज पर जाने वाले सभी लोगों को इस बात की गांठ बांधकर यहां से रवाना होना चाहिए कि सफर पूरा कर वापस आने के बाद उनकी जिंदगी में बदलाव दुनिया को भी दिखाई दे और अल्लाह भी उसके आमाल से राजी हों। सफर की थकान, तफरीह पर खर्च और घर-परिवार छोड़कर दूसरे मुल्क जाने की मशक्कत उसी वक्त मुकम्मल मानी जाएगी, जब हज के दौरान खाना-ए-काबा के सामने खड़े होकर अपने खुदा से किए हुए वायदों को बंदा इस अपनी दुनिया में लौटकर पूरे करे।

पीर शिराज उल हसन मुजद्दीदी साहब ने शनिवार को यह बात हज कुर्रा के दौरान कहीं। काजी-ए-शहर सैयद मुश्ताक अली नदवी, मुफ्ती अब्दुल कलाम, मुफ्ती बाबर साहब और प्रदेशभर के शहर काजियों की मौजूदगी में उन्होंने लैपटॉप का बटन दबाकर मुंबई से होने वाले हज कुर्रा की शुरूआत की। इस मौके पर हज कमेटी के सदस्य आमिर अकील, अब्दुल मुुगनी, सीइओ दाउद अहमद खान के अलावा प्रदेशभर के जिला हज कमेटी अध्यक्ष मौजूद थे। बड़ी तादाद में पहुंचे हज आवेदकों ने सुकून से कुर्रा की कार्यवाही देखी और अपने नंबर के इंतजार में नजरें गढ़ाए रहे। कुर्रा होने के बाद कई लोग अपना नाम चयनित होने पर खुशी का इजहार करते नजर आए तो कई के चेहरों पर मायूसी के साथ जुबान पर यह बात पसर गई कि जब अल्लाह का बुलावा आएगा, तब जाने में कोई बाधा नहीं रहेगी।


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न्यूज डेस्क, Mp Breaking News

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