मुख्तार अंसारी के बेटे और मऊ सदर से विधायक अब्बास अंसारी को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। बुधवार को न्यायमूर्ति समीर जैन की एकल पीठ ने हेट स्पीच मामले में उनकी दोषसिद्धि रद्द कर दी, जिसके बाद उनकी विधानसभा सदस्यता बहाल हो गई है। इस फैसले के बाद मऊ में अब्बास के समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई। 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान भड़काऊ भाषण देने के आरोप में मऊ की एमपी/एमएलए स्पेशल कोर्ट ने अब्बास को दो साल की सजा सुनाई थी, जिसके चलते उनकी विधायकी रद्द हो गई थी।
वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान अब्बास अंसारी ने मऊ में एक जनसभा में कथित तौर पर राज्य सरकार के अधिकारियों को धमकी दी थी। उन्होंने कहा था कि समाजवादी पार्टी के सत्ता में आने पर अधिकारियों को परिणाम भुगतना पड़ेगा। इस बयान के आधार पर मऊ के शहर कोतवाली में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। एमपी/एमएलए स्पेशल कोर्ट ने 31 मई को अब्बास को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 153-ए (विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), धारा 189 (सार्वजनिक सेवक को चोट पहुंचाने की धमकी), धारा 506 (आपराधिक धमकी), और धारा 171-एफ (चुनाव में अनुचित प्रभाव) के तहत दोषी ठहराते हुए दो साल की सजा सुनाई थी।
कोर्ट में लंबी कानूनी लड़ाई
स्पेशल कोर्ट के फैसले के खिलाफ अब्बास ने अपर सत्र न्यायाधीश के समक्ष अपील दायर की थी, लेकिन 5 जुलाई को उनकी याचिका खारिज हो गई थी। इसके बाद उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट में पुनरीक्षण याचिका दाखिल की। हाईकोर्ट ने पिछली सुनवाई में आदेश सुरक्षित रख लिया था और बुधवार को भोजनावकाश के बाद फैसला सुनाते हुए उनकी दोषसिद्धि रद्द कर दी। इस फैसले के साथ ही अब्बास की विधानसभा सदस्यता बहाल हो गई, जिससे उनके सियासी भविष्य को लेकर उठ रहे सवालों का जवाब मिल गया।
समर्थकों में उत्साह, सियासी भविष्य को नई दिशा
सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के टिकट पर मऊ सदर से विधायक चुने गए अब्बास अंसारी के लिए यह फैसला बड़ी राहत लेकर आया है। हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद उनके समर्थकों में उत्साह का माहौल है। मऊ में उनके समर्थकों ने इस फैसले को उनकी सियासी वापसी के रूप में देखा है। यह निर्णय न केवल अब्बास के लिए बल्कि उनकी पार्टी के लिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि मऊ सदर विधानसभा क्षेत्र में उनकी मजबूत पकड़ मानी जाती है।





