उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के सरकारी (परिषदीय) विद्यालयों की जमीनी हकीकत पर नाराजगी जताते हुए बड़ा एक्शन लिया है। स्कूलों में गंदगी और जर्जर भवनों को लेकर लगातार आ रही खबरों के बाद मुख्यमंत्री ने सभी जिलाधिकारियों और बेसिक शिक्षा अधिकारियों (BSA) को निर्देश दिया है कि वे स्कूलों की भौतिक स्थिति की व्यापक और सघन समीक्षा करें।
सीएम ने की उच्चस्तरीय बैठक
सीएम योगी ने सोमवार को उच्चस्तरीय बैठक में कहा कि जिलों में डीएम और बीएसए की अगुवाई में निरीक्षण टीमें गठित की जाएं जो हर स्कूल का फिजिकल वेरिफिकेशन करें। हर जिले से एक विस्तृत प्रगति रिपोर्ट शासन को जल्द भेजी जाए। उन्होंने सख्त लहजे में कहा कि राज्य का कोई भी स्कूल जर्जर भवन, गंदगी या बुनियादी सुविधाओं की कमी से प्रभावित नहीं होना चाहिए।
ऑपरेशन कायाकल्प
सीएम योगी ने बैठक में बताया कि ऑपरेशन कायाकल्प के तहत प्रदेश के 96 प्रतिशत स्कूलों में शौचालय, पुस्तकालय, स्मार्ट क्लास, बिजली जैसी सुविधाएं दी जा चुकी हैं। उन्होंने बताया कि आरटीई (RTE) के तहत 2024-25 में 4.58 लाख बच्चों का नामांकन हुआ है, जो सरकारी स्कूलों में भरोसे को दर्शाता है।
स्कूल भवन, पानी, बिजली, फर्नीचर सबकी होगी जांच
सीएम ने निर्देश दिया कि निरीक्षण के दौरान स्कूल की दीवारों की रंगाई-पुताई, पेयजल, बिजली, शौचालय, फर्नीचर, रैंप और बैठने की व्यवस्था समेत सभी पहलुओं की गहन समीक्षा की जाए। यदि किसी स्कूल की स्थिति खराब मिलती है तो तत्काल सुधार कार्य शुरू कराया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन स्कूलों के भवन पूरी तरह जर्जर हो चुके हैं, वहां बच्चों को अस्थायी स्थानों पर शिफ्ट किया जाए और मरम्मत/पुनर्निर्माण का कार्य तुरंत शुरू हो। इसके लिए विभागीय बजट के साथ-साथ CSR फंडिंग का भी इस्तेमाल हो। सांसदों, विधायकों और जनप्रतिनिधियों को इस अभियान से जोड़ा जाए।
‘प्राथमिक स्कूल समाज की नींव हैं’
मुख्यमंत्री योगी ने अधिकारियों से कहा, “प्राथमिक विद्यालय केवल इमारत नहीं, समाज के भविष्य की नींव हैं। इन्हें उपेक्षित नहीं छोड़ा जा सकता। जब अभिभावकों को विश्वास होगा कि उनके बच्चे सरकारी स्कूलों में सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पा रहे हैं, तभी प्राथमिक शिक्षा के प्रति समाज का भरोसा मजबूत होगा।”





