144 साल बाद बने अद्भुत संयोग में प्रयागराज महाकुंभ 2025 का आगाज, पौष पूर्णिमा पर पहला शाही स्नान, जानें महत्व, मुहूर्त और तिथियां

प्रयागराज में आज से महाकुंभ की शुरुआत हो चुकी है। सुबह-सुबह साधु संतों ने अमृत स्नान शुरू किया और अब अलग-अलग मुहूर्त में स्नान का ये सिलसिला शाम तक चलता रहेगा। महाकुंभ का आयोजन 45 दिन तक चलेगा।

Diksha Bhanupriy
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Prayagraj Mahakumbh 2025: हिंदू धर्म में कुंभ मेले का काफी महत्व माना गया है। अलग-अलग स्थान पर अर्धकुंभ में तौर पर 6 एवं कुंभ के तौर पर 12-12 साल में लगने वाला ये मेला आस्था और भक्ति का अनूठा समागम होता है। साल 2025 में प्रयागराज महाकुंभ मेला लगने जा रहा है जिसकी शुरुआत आज यानी 13 जनवरी से हो गई है। पौष पूर्णिमा से शुरू हो रहा ये मेला 45 दिनों तक चलेगा। इसका समापन 26 फरवरी 2025 को महाशिवरात्रि के दिन होगा।

इस भव्य आयोजन में देश और दुनियाभर से लाखों करोड़ों श्रद्धालु प्रयागराज पहुंचेंगे और यहां होने वाले स्नान में डुबकी लगाएंगे। इस बार कुल 6 स्नान होने वाले हैं, जिन्हें शाही नहीं अमृत स्नान के नाम से पहचाना जाएगा। चलिए आज आपको इन स्नान की तिथियों और इसके महत्व के बारे में बताते हैं।

144 साल बाद अद्भुत संयोग (Prayagraj MahaKumbh 2025)

इस बार प्रयागराज में जो कुंभ मेला लग रहा है, उसे महाकुंभ के नाम से पहचाना जा रहा है क्योंकि 144 साल बाद दुर्लभ संयोग में इसकी शुरुआत हो रही है। इस दिन सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति मिलकर शुभ स्थिति निर्मित कर रहे हैं। बताया जाता है कि समुद्र मंथन के समय भी इसी तरह से ग्रहों की स्थिति निर्मित हुई थी। इसी के साथ आज रवि योग का निर्माण हो रहा है और भद्रावास योग भी बना हुआ है।

महाकुंभ का पहला अमृत स्नान

प्रयागराज महाकुंभ का पहला अमृत स्नान 13 जनवरी यानी आज ही है। इसके लिए ब्रह्म मूहर्त सबसे उत्तम माना गया है। हालांकि, अलग अलग समय पर ये स्नान चलता रहेगा। ब्रह्म मुहूर्त में स्नान का समय सुबह 5 बजकर 27 मिनट से 6 बजकर 21 मिनट है। उसके बाद दोपहर 12 बजकर 9 मिनट से 12 बजकर 51 मिनट में बन रहे अभिजीत मुहूर्त में स्नान किया जा सकता है। दोपहर 2 बजकर 15 से लेकर 2 बजकर 57 मिनट तक विजय मुहूर्त है। शाम 5 बजकर 42 मिनट से 6 बजकर 15 मिनट तक गोधूलि मुहूर्त में स्नान किया जा सकता है। इस समय किया गया दान पुण्य विशेष फलदायी होता है।

अमृत स्नान का महत्व

महाकुंभ के दौरान होने वाला अमृत स्नान इस आयोजन के सबसे महत्वपूर्ण भागों में से एक है। यह केवल स्नान नहीं बल्कि एक अनुष्ठान है, जिसमें देश और दुनिया भर से आने वाले अलग-अलग संप्रदाय को मानने वाले साधु संत अपने अपने नियमों से स्नान करते हैं। इसके बाद देश और दुनिया से आई जनता भी पुण्य कमाने के लिए डुबकी लगाती है। अमृत स्नान में सबसे पहले नागा साधु स्नान करते हैं। उसके बाद अन्य साधु और फिर जनता का स्नान होता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन अगर डुबकी लगा ली जाती है तो कई गुना पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिस स्नान करने से न केवल इस जन्म बल्कि पिछले जन्म के पापों का भी अंत हो जाता है। पितरों की आत्मा की शांति के लिए भी यह स्नान फलदायक माना गया है।

कब-कब है अमृत स्नान

पहला स्नान- 13 जनवरी 2025, पौष पूर्णिमा।

दूसरा स्नान- 14 जनवरी 2025 मकर संक्रांति।

तीसरा स्नान- 29 जनवरी 2025 मौनी अमावस्या।

चौथा स्नान- 2 फरवरी 2025 बसंत पंचमी।

पांचवां स्नान- 12 फरवरी 2025 माघ पूर्णिमा।

छठा स्नान- 26 फरवरी 2025 महाशिवरात्रि।


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Diksha Bhanupriy

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"पत्रकारिता का मुख्य काम है, लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को संदर्भ के साथ इस तरह रखना कि हम उसका इस्तेमाल मनुष्य की स्थिति सुधारने में कर सकें।” इसी उद्देश्य के साथ मैं पिछले 10 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम कर रही हूं। मुझे डिजिटल से लेकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का अनुभव है। मैं कॉपी राइटिंग, वेब कॉन्टेंट राइटिंग करना जानती हूं। मेरे पसंदीदा विषय दैनिक अपडेट, मनोरंजन और जीवनशैली समेत अन्य विषयों से संबंधित है।

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