Video : एक सही सीख जीवनभर के लिए बन जाती है वरदान, देखिये प्रेरक वीडियो

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। सीखना-सिखाना द्विआयामी प्रक्रिया है। जब हम किसी को कुछ सिखा रहे होते हैं तो कहीं और से कुछ सीख भी रहे होते हैं। ये दोनों ही प्रक्रिया बहुत धैर्य और विनम्रता मांगती है। अगर सिखाने वाले में धीरज नहीं है तो भले ही वो कितना भी कुशल क्यों न हो, सही शिक्षा नहीं दे पाएगा। इसीलिए कहा जाता है कि फलदार वृक्ष झुका हुआ होता है, जिसमें जितने गुण होंगे वो उतना ही विनम्र और शालीन होगा।

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अगर हमारे आसपास ऐसे लोग हैं जो हमारी परवाह करते हैं और असफल होने पर भी हमारा उत्साह बढ़ाते हैं तो ये खुशकिस्मती है। ऐसे शिक्षक और दोस्तों का होना नेमत है। आज हम आपको ऐसा ही एक वीडियो दिखाने जा रहे हैं जो हम सबके लिए एक प्रेरणा हो सकता है। इसमें एक क्लास दिख रही है जहां मार्शल आर्ट सिखाया जा रहा है। छोटे छोटे बच्चे यूनिफॉर्म में हैं। हम देखते हैं कि ट्रेनर के हाथ में एक ब्रिक है और सामने छोटा सा बच्चा खड़ा है। बच्चे को अपने पैर से वो ब्रिक तोड़ना है। ट्रेनर उसे निर्देश देता है और बच्चा उसपर पैर मारता है। लेकिन पहली बार में वो लड़खड़ाकर गिर जाता है।

पास में खड़ा एक बच्चा उसे सहारा देकर उठाता है। ट्रेनर उसे फिर किक मारने को कहता है। बच्चा कोशिश करता है लेकिन कई बार के प्रयास के बाद भी ब्रिक टूट नहीं पाती। इससे वो निराश हो जाता है और रोने लगता है। उसे रोता देख ट्रेनर उसका हौसला बढ़ाता है और बाकी बच्चे भी उसका नाम लेकर चीयर करते हैं। आखिर एक किक और पड़ती है और ब्रिक टूट जाती है। इसी के साथ सारे लोगों में उत्साह दौड़ जाता है। ये सिर्फ एक वीडियो नहीं…सीख भी है। अगर ट्रेनर और बाकी लोग उस छोटे बच्चे के शुरुआती प्रयासों में उसे हतोत्साहित कर देते तो उसका मनोबल टूट जाता और वो फिर कोशीश भी नहीं करता। लेकिन इस व्यवहार के कारण न सिर्फ उसका आत्मविश्वास बढ़ा बल्कि आगे भी अब वो कभी हिम्मत नहीं हारेगा।


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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