Video : 11 माह के बच्चे ने पहली बार देखी आतिशबाजी, आंखों में उतर आए जुगनू

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। ये कहानी हम सबको जाननी चाहिए ‘एक ट्रेन में 25-26 साल का युवक अपने पिता के साथ बैठा था और हर गुजरती चीज को देखकर बच्चों की तरह खुश हो रहा था। उसकी प्रतिक्रिया देख आसपास वाले हैरान थे और समझ रहे थे कि शायद उसे कोई मानसिक रोग है। किसी ने पूछा कि आप पेड़ पत्तों पहाड़ों को देखकर ऐसे उछल क्यों रहे हैं। तब उसके पिता ने जवाब दिया कि बचपन में ही हादसे में उसकी आंख चली गई थी, हाल ही में ऑपरेशन हुआ है और आज वो पहली बार ट्रेन में बैठकर नजारों को देख रहा है।’ ये कहानी हमें बहुत बड़ा सबक देती है।

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इस दुनिया को देखने का सबका नजरिया होता है। सबके हालात भी होते हैं। पर्यटन की विचार भी इसी सिद्धांत पर आधारित है। देश विदेश से पर्यटक जिस स्थान को देखने आते हैं..स्थानीय लोगों के लिए उसका कोई विशेष महत्व नहीं होता। वो उन नजारों को इतनी बार देख चुके होते हैं कि उसके सौंदर्य से वशीभूत होने का भाव चला जाता है। हम कई बार सुंदर से सुंदर चीज को देखने के इतने अभ्यस्त हो जाते हैं कि वो हमपर असर ही नहीं करती। लेकिन वही चीज कोई और देखता है तो मंत्रमुग्ध हो जाता है।


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।