भोपाल। मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर की सियासत का जब भी जिक्र होता है तो ताई और भाई का नाम लिए बिना यहां की सियासत अधूरी रहती है। आज हम भाई की यानि भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय की सियासत पर चर्चा करेंगे। आज उनका जन्मदिन है। उन्होंंने ट्विट कर इसकी जानकारी दी है। कैलाश वह कद्दावर नेता हैं जिन्होंने छह बार विधानसभा चुनाव लड़ा और विरोधियों के पसीने छुड़ा दिए। वह शिवराज सरकार में मंत्री भी रहे। फिलहाल उनके हाथोंं में प. बंगाल की जिम्मेदारी मिली है। इसलिए उन्होंने लोकसभा चुनाव भी नहीं लड़ने का फैसा लिया था।
हराने में विरोधी रहे विफल
कैलाश जमीनी स्तर से जुड़े नेता हैं, वह इंदौर के महापौर भी रहे हैं। इसके बाद पार्टी में उनका कद बढता गया। इंदौर में उनके नाम की छाप देखी जा सकती है। शहर राजनीति से उठकर वह संसदीय राजनीति में सक्रिय हुए। जिसके बाद उन्होंने इंदौर की अलग अलग सीट से विधानसभा चुनाव लड़े और छह बार विधायक रहे। विरोधी उन्हें हराने में हर बार विफल रहे। हर रणनीति कैलाश को हराने की व्यर्थ ही गई। कैलाश विजयवर्गीय ने 2018 का विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा पर इससे पहले वो लगातार छह बार विधायक रहे। विजयवर्गीय को 2014 में बीजेपी का हरियाणा चुनाव प्रचार का प्रभारी बनाया गया था। वहां पार्टी की जीत के बाद केंद्रीय राजनीति में कैलाश विजयवर्गीय का कद बढ़ गया।
राजनीतिक सफर
कैलाश विजयवर्गीय 1983 में इंदौर नगर निगम के मेयर और 1985 में स्थायी समिति के सदस्य चुने गए। भारतीय जनता युवा मोर्चो (भाजयुमो) के राज्य सचिव बने। 1985 में ही वह विद्यार्थी परिषद के स्टेट कॉर्डिनेटर भी बने। 1990 में भाजपा ने उन्हें विधानसभा का टिकट दिया। वो पहली बार विधायक बने। 1990, 1993, 1998, 2003, 2008, और 2013 के विधानसभा चुनावों में विधायक चुने जाते रहे हैं। इसके वह अलग-अलग सीटों से विधायक रहे। 2008 में उन्होंने महू से चुनाव लड़ा और 2013 का भी चुनाव वहीं से जीता।