नई रेत नीति: नर्मदा में मशीनों से खनन रोकना सबसे बड़ी चुनौती

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भोपाल। प्रदेश सरकार ने नई रेत नीति में नर्मदा समेत अन्य छोटी रेत खदानों में मशीनों से उत्खनन पर रोक लगा दी है। इसके बावजूद भी सरकार के सामने नर्मदा में मशीनों से खनन रोकने की सबसे बड़ी चुनौती होगी। क्योंकि मौजूदा समय में अवैध रूप से नर्मदा में बड़े पैमाने पर मशीनों से अवैध उत्खनन हो रहा है, जिसे रोक पाने में सरकार पूरी तरह से फेल है। खास बात यह है कि नर्मदा में अवैध उत्खनन में किनारे वाले शहरों के रसूखदार लोग है। जो राजनीति में अच्छा-खासा दखल रखते हैं। रेत नीति में बदलाव करते हुए सरकार ने खदान संचालक का अधिकार पंचायतों से छीन लिया है। अब खनिज विकास निगम रेत खदानों की नीलामी करेगा। खास बात यह है कि ठेका एक व्यक्ति को न देकर समूह को दिए जाएंगे। 

रेत की मौजूदा नीति से न तो लोगों को सस्ती रेत मिल रही है और न ही सरकार को राजस्व मिल रहा है। पूरा मुनाफा माफिया के जेब में जा रहा है। पंचायतों से रेत खनन के अधिकार वापस लेकर खदानों को समूह में नीलाम करने के प्रावधान से सरकार को सालाना 900 करोड़ रुपए राजस्व मिलने की उम्मीद है। पंचायतों को इससे प्राप्त होने वाली राशि में भी वृद्धि के प्रावधान किये गये हैं। रई-नीलामी से नर्मदा नदी में रेत का उत्खनन मशीनों से नहीं किया जायेगा। अन्य नदियों में रेत खनन में मशीनों उपयोग करने की अनुमति पर्यावरण की स्वीकृति के आधार पर दी जा सकेगी। पंचायतों को स्वयं के द्वारा कराये जा रहे शासकीय/सार्वजनिक कार्यों में रेत की आपूर्ति वैध खदानों से की जाएगी। पंचायतों द्वारा ऐसे कार्यों के लिए चुकाई गई रॉयल्टी राशि विभाग द्वारा लौटाई जायेगी। पंचायतों द्वारा कराये जा रहे निर्माण कार्य, जो ठेके पर दिये गये हैं, उन पर रॉयल्टी से छूट नहीं दी जायेगी। ग्रामीणों को निजी के निर्माण के लिए बिना रॉयल्टी के रेत मिलेगी। इसके लिए नीति में सरलीकरण किया गया है। खदानें दो साल के लिए दी जाएंगी और दूसरे साल राशि में 20 फीसदी की वृद्धि होगी।


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