किस्साए अच्छे ख़ां : अच्छे मियां और उनकी चटोरी ज़बान…

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अच्छे मियां की ज़िंदगी में जीने की कुछ खास वजहों को गिनाया जाए तो बेगम की मुहब्बत के बाद वो उनके हाथ के खाने का ही नाम लेंगे। अच्छे मियां की खुशनसीबी ऐसी कि बेगम की हाथ में जो ज़ायका है जो मियां जी तो क्या, अड़ोसी-पड़ोसी, रिश्तेदार, मिलने-जुलने वाले सभी को मुरीद बना चुका है। जिसने एक बार बेगम के हाथ का खाना खा लिया, तारीफ़ किए बिना नहीं रह पाता। यही वजह है कि ईद पर सबसे ज़्यादा रौनक उन्हीं के घर होती है। लोगबाग बेगम साहिबा के हाथों की बनी सिवैया, शीर खुरमा, फिरनी, बर्फी, गुलाब जामुन और फालूदा खाने के लिए दूर-दूर से आते हैं। न हो तो बेगम सिवैया को ही चार आठ तरीक़े से इतने मज़े-मज़े का पकाती हैं कि क्या कहने। कभी सिवैया की खीर, कभी किमामी सिवैया, सिवैया की बर्फी, सिवैया की गुझिया..और तो और नमकीन सिवैया तो अच्छे से अच्छे नूडल्स को मात देती है…


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