Doctors Strike : आयुर्वेदिक डॉक्टरों को सर्जरी की अनुमति देने के विरोध में स्वास्थ्य सेवाएं रही ठप्प ,केवल इमरजेंसी चालू

Gaurav Sharma
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मुरैना,संजय दीक्षित। आयुर्वेदिक डॉक्टरों को 58 तरह की सर्जरी करने का अधिकार दिए जाने के विरोध में आज जिले भर के नर्सिंग होम, जिला अस्पताल, सिविल हॉस्पिटल, स्वास्थ्य और उपस्वास्थ्य केंद्रों में पदस्थ डॉक्टर हड़ताल (Doctors Strike) पर बैठ गए हैं। इसलिए आज सामान्य मरीज इलाज के लिए अस्पताल में नहीं पहुंचे हैं। क्योंकि डॉक्टर सिर्फ इमरजेंसी या एक्सीडेंट में घायल होने वाले मरीजों अथवा गंभीर बीमारी मरीजों का ही उपचार करेंगे। आज जिला अस्पताल की ओपीडी भी बन्द रही।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉक्टर बी एल राजपूत ने बताया कि आयुर्वेदिक और एलोपैथिक चिकित्सा पद्धति अलग-अलग है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन आयुर्वेदिक पद्धति से इलाज का विरोध नहीं करती ।आयुर्वेदिक पद्धति में मरीजों को दवाओं से स्वस्थ करने की क्षमता है , लेकिन सर्जरी एलोपैथी का महत्वपूर्ण हिस्सा है और अगर इसमें आयुर्वैदिक के डॉक्टर सर्जरी करेंगे तो मानव जीवन को गंभीर खतरा पैदा हो सकता है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।