अब भी ग्रामीण इलाकों में घरेलू खर्च, फिर शादी-ब्याह जैसे बड़े कामों के लिए गरीब वर्ग व किसानों को गांव में निवास करने वाले बड़े-बड़े साहूकारों (Moneylenders) से अपनी चीजें गिरवी (Mortgage) रखवा कर पैसे लेना पड़ता था। जिसे शिवराज सरकार (Shivraj government) ने बदलने का फैसला किया है। और इनपर सख्ती से रोक लगाने के लिए अधिनियम में संशोधन कर दिया था। इसके बावजूद समस्या वहीं की वहीं थी। जिसे सुलझाते हुए नया रास्ता अपनाया जा रहा है। जिसके तहत अब ग्रामीण क्षेत्रों में चलने वाली सहकारी समितियां (Co-operative societies) लोगों को कर्ज (loan) देंगी। जिससे उनका काम आसान हो जाएगा।
4 हजार सहकारी समितियां देंगी कर्ज
शिवराज सरकार (Shivraj government) में 4 हजार से अधिक सहकारी संस्थाओं (Co-operative societies) का चयन किया है, जो किसानों को घरेलू खर्च, शादी-ब्याह और घर के बड़े कामों के लिए भी कर्ज (loan) देंगी। बता दें कि इसका फायदा उन्हें ही मिल पाएगा, जो नियमित रूप से कर्ज (loan) को चुका सकेगा। इस राशि के लिए ब्याज की दर भी उतनी ही रहेगी जितना समिति द्वारा चुकाया जाएगा।
विभागीय समीक्षा बैठक में लिया गया निर्णय
जानकारी के अनुसार सहकारिता मंत्री अरविंद सिंह भदौरिया (Cooperative Minister Arvind Singh Bhadoria) की अध्यक्षता में विभागीय समीक्षा बैठक (Review meeting) का आयोजन किया गया था। इसी बैठक में प्रस्ताव पर निर्णय लिया गया है। इस संबंध में संयुक्त पंजीयक अरविंद सिंह सेंगर (Joint Registrar Arvind Singh Sengar) ने कहा कि सहकारी बैंकों (Co-operative banks) में इसकी शुरुआत नए वित्तीय वर्ष (New financial year) से होगी।
बता दें कि किसानों को सहकारी समितियों (Co-operative societies) द्वारा 0% पर ब्याज दिया जाता है। जिसकी लागत केवल 11 फ़ीसदी होती है। जिनमें से 5 फ़ीसदी ब्याज केंद्र सरकार द्वारा दी जाती है, तो वहीं बाकी के 6% ब्याज का भुगतान राज्य सरकार द्वारा किया जाता है। जिसके साथ बैंकों को ब्याज अनुदान दिया जाता है।