सागर, डेस्क रिपोर्ट। हाल ही में बॉलीवुड अभिनेता पंकज त्रिपाठी (Pankaj Tripathi) की सच्ची घटना पर आधारित फिल्म ‘कागज’ (Film Kagaj) आई थी। जिसमें एक किसान (Farmer) खुद को जिंदा साबित करने के लिए कागज लेकर सरकारी दफ्तरों (government offices) के चक्कर काट रहा था, लेकिन उसकी सुनवाई नहीं हो रही थी। ऐसा ही मामला रियल लाइफ में मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के सागर जिले (Sagar district) से सामने आया है, जहां ‘कागज’ देखने को मिला है। जहां एक बुजुर्ग किसान खुद को जिंदा साबित करने के लिए दर-दर भटक रहा है। बता दें कि बुजुर्ग किसान (Elderly farmer) को दो साल पहले पीएम किसान सम्मान निधि (PM Kisan Samman Nidhi) की पहली किश्त दी गई थी। उसके बाद उसे पोर्टल (Portal) पर मृत घोषित कर दिया गया। जिसके बाद से किसान लगातार खुद को जिंदा साबित (Prove myself alive) करने के लिए दफ्तरों के चक्कर लगा रहे है, लेकिन प्रशासन है कि आंख मूंदे बैठा हुआ है।
सागर जिले से सरकारी तंत्र की लापरवाही (Negligence of government offices) उजागर हुई है। जिसके चलते एक बुजुर्ग किसान खुद को जीवित साबित करने के लिए पिछले 2 साल से सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगा रहा है। पीड़ित किसान का नाम गणेश सिंह (Ganesh Singh) है, जो सागर जिले के बंडा तहसील (Banda Tehsil) रमपुरा मौजा गांव (Rampura Mauja Village) का निवासी है। किसान ने कहा कि 2 साल पहले उसे पीएम किसान सम्मान निधि (PM Kisan Samman Nidhi) की पहली किश्त दी गई थी, उसके बाद से उसे कोई किश्त नहीं मिल रही है, क्योंकि उसे पोर्टल में मृत घोषित (Declared dead in portal) कर दिया गया है। जिसकी शिकायत किसान ने संबंधित पटवारी (Patwari) से लेकर बड़े-बड़े अधिकारियों से भी की है, लेकिन किसी ने भी अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है।
पीड़ित किसान गणेश सिंह (Suffering farmer Ganesh Singh) ने कहा कि वह खेती-किसानी (Farming) करके अपना जीवन यापन कर रहा है। इसके बावजूद भी उसे किसान सम्मान निधि पोर्टल पर मृत घोषित कर दिया गया है। जिसके चलते उसे किसी भी तरह से सरकारी योजनाओं का लाभ (Benefits of government schemes) नहीं मिल पा रहा है। 2 साल पहले 2019 में उन्हें अपनी 2 एकड़ की खेती के लिए किसान सम्मान निधि (Kisan Samman Nidhi) से दो हजार रुपए की पहली किश्त मिली थी। इसके बाद से उन्हें अब तक कोई भी किश्त नहीं मिली है।
पटवारी ने की थी 500 रिश्वत की मांग
पीड़ित किसान ने कहा कि पहली किश्त आने के बाद जब आगे की किश्त उनके खाते में नहीं आई और बाकी के खातों में राशि आ रही थी, तो उन्होंने इसकी शिकायत पटवारी से की। जहां उनकी समस्या का समाधान नहीं हो सका। जिसके चलते उन्होंने कई बड़े-बड़े अधिकारियों से भी अपनी समस्या की गुहार लगाई, लेकिन किसी से भी उन्हें न्याय नहीं मिला। सभी ने कहा कि पोर्टल के अनुसार वह जीवित नहीं है। इस दौरान पटवारी ने पीड़ित किसान जिंदा साबित करने के एवज में 500 रुपए की रिश्वत की मांगी थी। वहीं इस मामले को लेकर बंडा तहसीलदार संजय दुबे (Banda Tehsildar Sanjay Dubey) ने कहा कि पीएम किसान सम्मान निधि (PM Kisan Samman Nidhi) के पोर्टल पर गलती से जीवित व्यक्ति को मरा हुआ बता दिया गया है। ये बड़ी बात नहीं है, जो भी गलती हुई है, उसे जल्द से जल्द ठीक करवा दिया जाएगा।
पटवारी ने कही ये बात
वहीं इस मामले को लेकर पटवारी निर्मल जैन ने कहा कि योजना के अनुसार परिवार में पति पत्नी में से किसी एक व्यक्ति को ही पीएम सम्मान निधि की राशि मिलनी चाहिए। इसी लिए किसान गणेश सिंह इस योजना के लिए अपात्र है। क्योंकि गणेश सिंह की पत्नी के नाम पर भी 1 एकड़ जमीन है। ऐसे में उन्हें किसान सम्मान निधि की किश्त मिलती है, लेकिन इस योजना की एक किश्त गणेश सिंह के खाते में भी गई है। जिसके लिए जल्द ही नोटिस भेजा जाएगा और उसे रिकवरी करने की कार्रवाई की जाएगी।
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Gaurav Sharma
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इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।