भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। सरकार की तमाम पाबंदियों के बाद भी कोरोना काल में आर्थिक संकट के बावजूद चुनिन्दा ठेकेदारों को धड़ल्ले से नियम विरूद्द भुगतान कर सुर्खियों में आए पीडब्ल्यूडी विभाग (PWD) के इंजीनियर इन चीफ चंद्र प्रकाश अग्रवाल (ENC Chandra prakash agrawal) की आर्थिक गड़बड़ियों की शिकायत अब सरकार तक पहुंच गई है ।राज्य सरकार को भेजे गए लंबे चौड़े दस्तावेजों से पता चलता है कि अग्रवाल ने इसके पहले मुख्य तकनीकी परीक्षक रहते हुए कुछ ऐसे कार्य किए जो आर्थिक एवं प्रक्रियात्मक गड़बड़ियों की श्रेणी में आते हैं।
शिकायत में बाकायदा राज्य शासन के सर्कुलर का हवाला देते हुए बताया गया है कि मुख्य तकनीकी परीक्षक कार्यालय में कर्मचारियों की संख्या कम होने पर आउटसोर्सिंग के माध्यम से कर्मचारियों की सेवाएं मांगी गई थी और सामान्य प्रशासन विभाग ने इस शर्त पर अनुमति दे दी थी कि अगर पद भर जाएंगे तो इन्हें पद से हटा दिया जाएगा। लेकिन पद भरने के बाद भी कर्मचारियों को पद से नहीं हटाया गया। इसके साथ ही वित्त विभाग के निर्देशों का हवाला देते हुए कहा गया है कि किराए का वाहन टैक्सी कोटे में रजिस्टर्ड होना चाहिए लेकिन चंद्र प्रकाश अग्रवाल द्वारा खुद के लिए लगाई गई होंडा सिटी टैक्सी कोटे में न होकर प्राइवेट कोटे में दर्ज थी। जाहिर है कि इस प्रकार किसी व्यक्ति विशेष को आर्थिक लाभ पहुंचाने का उद्देश आला अधिकारी का रहा होगा। इतना ही नहीं, शासन के आदेशों के विपरीत चंद्र प्रकाश अग्रवाल ने 12 नवीन आदेश नए फर्नीचर क्रय करने के लिए दिये और जिस मद से भुगतान किया गया वह लोक निर्माण विभाग का था। इसके लिए सरकार से अनुमति नहीं ली गई। दो कर्मचारियों की नियुक्ति भी बिना सामान्य प्रशासन विभाग की अनुमति के तत्कालीन मुख्य निरीक्षक तकनीकी परीक्षक अग्रवाल ने की, जिस पर सामान्य प्रशासन विभाग में आपत्ति भी जताई थी। एक सहायक यंत्री ग्रामीण यांत्रिकी आर के पांडे की सेवाएं समाप्त होने के बाद भी अग्रवाल ने दो वर्ष की अवधि बनाने की अनुशंसा की और स्वीकृति प्राप्त ना होने के बाद भी उन्हें कार्यमुक्त नहीं किया और ना ही इस तरह की कोई पहल की। सारी शिकायतों की प्रतियां प्रमुख सचिव लोक निर्माण विभाग के साथ-साथ सरकार के आला अधिकारियों को भेजकर अग्रवाल के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है।