बैठक में सीएम शिवराज सिंह ने संबंधित विभागों के मंत्रियों और अधिकारियों से चर्चा की ।इसमें मंत्री समूह द्वारा वाणिज्यिक कर, आबकारी, वन, जन-निजी भागीदारी, नगरीय क्षेत्र प्रबंधन, शहरी विकास, उद्योग, गृह तथा सामान्य प्रशासन विभाग से संबंधित अनुशंसाओं पर प्रस्तुतिकरण दिया गया।वाणिज्यक कर विभाग (commercial tax department) को लेकर उन्होंने कहा कि कर चोरी की पहचान करने और डाटा विश्लेषण के लिए एनालिटिकल टूल्स तथा Data Sharing बढ़ाकर Tax Research & Wing को मजबूत किया जाएगा। ईमानदार करदाताओं को पुरस्कृत करने के लिए भामा शाह पुरस्कार योजना लागू करने की कार्रवाई जारी है। करदाताओं पर लंबी, पुरानी बकाया राशि के समाधान के लिए सरल समाधान योजना लाई जा रही है।
आबकारी विभाग (Excise Department) को लेकर सीएम शिवराज सिंह ने कहा कि मदिरा दुकानों सहित आबकारी विभाग की संपूर्ण कार्य-प्रणाली के कम्प्यूटरीकरण के लिए ई-आबकारी साफ्टवेयर विकसित किया जा रहा है। जनजातियों की आजीविका बढ़ाने और महुआ शराब के निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए हैरिटेज लिकर पॉलिसी लाई जाएगी।मध्य प्रदेश में नई आसवनियों की स्थापना कर स्प्रिट और मदिरा निर्यात को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके लिए ऑनलाइन आवेदन की व्यवस्था होगी।
नगरीय निकाय और आवास विभाग को लेकर कहा कि निकायों द्वारा दी जाने वाली सार्वजनिक सुविधाओं जैसे वॉटर सप्लाय, सीवेज आदि के प्रभार को पुनरीक्षित करने पर विचार किया जा सकता है।उद्योग विभाग को लेकर कहा कि ऐसे औद्योगिक क्षेत्र जिनमें भूमि का विक्रय नहीं हो पा रहा है, उसके विक्रय के लिए दरों का युक्तियुक्तकरण किया जाए। विभिन्न शासकीय विभागों की शहरों के अंदर उपलब्ध तथा शहरों से लगी भूमि प्रदूषण नहीं करने वाले उद्योगों को उपलब्ध कराई जा सकती है।बैठक में राजसात किए वाहनों को नीलाम करने, शासकीय आवासीय कॉलोनियों के पुर्नघनत्वीकरण, बचत से राजस्व के बेहतर उपयोग, मानव संसाधन के युक्तियुक्तकरण संबंधी अनुशंसाओं पर भी विचार-विमर्श हुआ।
ई-ऑक्शन प्रणाली लागू होगी
वही वन विभाग के बारे में कहा कि मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में 35 लाख हेक्टेयर में डिग्रेडेड वन है। निवेशकों तथा वन समितियों के माध्यम से बाँस, टिंबर, चंदन इत्यादि के प्लांटेशन को प्रोत्साहित किया जा सकता है। अंडमान और निकोबार ने मध्य प्रदेश से प्लांटेशन के लिए भूमि उपलब्ध कराने का अनुरोध किया है। आगामी 3 वर्ष में लगभग एक हजार करोड़ रूपये के वित्तीय संसाधन प्राप्त होने की संभावना है। योजना में नर्मदा, ताप्ती, क्षिप्रा, चंबल, केन, बेतवा, सोन आदि नदियों के किनारे वृक्षारोपण किया गया है।
गोवा सरकार (Goa Government) से भी 10 करोड़ रूपये की सैद्धांतिक स्वीकृति प्राप्त हो गई है। इस प्रकार की गतिविधियों को प्रोत्सहित किया जाएगा। ग्रीन कार्बन रेटिंग के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय निवेश के लिए भी प्रयास किया जा रहा है। टिंबर और अन्य वन उत्पादों के विक्रय से 800 करोड़ रूपये की आय प्राप्त होती है। वन विभाग द्वारा ई-ऑक्शन प्रणाली लागू की जा रही है। इससे 50 करोड़ रूपये के लाभ की आशा है। हर्बल उत्पादों के ऑनलाइन विपणन को प्रोत्साहित किया जाएगा।
वर्टिकल डेवलपमेंट को प्रोत्साहित किया जाएगा
शहरी विकास को लेकर कहा कि गरीबों को आवास उपलब्ध कराने के लिए झुग्गीवासियों को भूमि स्वामी अधिकार देकर झुग्गी पुनर्विकास की सुविधा के लिए धारावी मॉडल पर कार्रवाई की जाएगी। इसके अंतर्गत पट्टे पर दी गई जमीन की पुलिंग कर सहकारिता के आधार पर भूमि का व्यावसायिक उपयोग प्रस्तावित है। नगरीय विकास योजनाओं में वर्टिकल डेवलपमेंट को प्रोत्साहित किया जाएगा। नगरीय क्षेत्रों के भू-अभिलेखों के डिजिटिलाईजेशन के बाद भू-राजस्व वसूली के अधिकार शहरी, स्थानीय निकायों को दिए जाएं। अनियमित निर्माण तथा अवैध कॉलोनियों के नियमितीकरण के लिए FAR को अधिक व्यवहारिक बनाया जाए।
बैठक में वाणिज्यिक कर तथा वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा, वन मंत्री विजय शाह, राजस्व एवं परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत, खनिज साधन एवं श्रम मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह, औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन मंत्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव, नगरीय विकास एवं आवास राज्य मंत्रीओ.पी.एस. भदौरिया, मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस, प्रमुख सचिव वाणिज्यिक कर दीपाली रस्तोगी उपस्थित थी।