धान खरीदी सरकार के लिए बनी आफत, समर्थकों के साथ कलेक्ट्रेट पहुंचे पूर्व कांग्रेस विधायक

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जबलपुर। धान खरीदी इस बार सरकार के लिए आफत बन सकती है। पहले 25 नवम्बर और अब 2 दिसम्बर के बाद शुरू हुई धान की खरीदी पटरी पर नही आ पाई है। आलम ये है कि सैकड़ो किसानों ने अब तक अपने अनाज को घरों से नही निकाला है, जबकि कुछ ऐसे है जो आज भी खुले आसमान की नीचे अपनी उपज रखे उसकी तकवारी कर रहे है। इस बार लगता है किसान के साथ साथ सरकार के लिए भी ये धान खरीदी आफत बन सकती है। 

कर्ज के बोझ और केन्द्र से राशि न मिल पाने की दलीलों के बीच किसानों से धान की खरीदी इस साल शुरूआत से ही विवादों में घिरी हुई है। पहले प्रदेश में धान खरीदी का काम 25 नवंबर से शुरू होना था लेकिन बाद में इसे बदलकर 2 दिसम्बर कर दिया गया। धान खरीदी केन्द्रों की जानकारी न मिल पाने और खरीदी की तारीख बढऩे की सूचना न मिल पाने से किसानों ने पिछले साल बने खरीदी केन्द्रों में ही अपना सैकड़ो क्विंटल अनाज रख दिया। फिर जब तारीख बदली तो करीब एक सप्ताह तक अपने अनाज की चैकीदारी भी की। आसमान से आफत के तौर पर गिर रही ओस ने भी अन्नदाता को सताए रखा, लेकिन अब जब खरीदी शुरू हुई तो खरीदी केन्द्रों में बदलाव कर दिया गया। ऐसे मे जहॉ किसानों ने अपनी धान डम्प की वहॉ से कई किलोमीटर दूर धान खरीदी केन्द्र बना दिए गए।


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