बसारी गांव के सैकड़ों किसान आज भी मुआवजे के लिए भटक रहे,किया प्रदर्शन

farmers protest for not getting compensation in chhatarpur

छतरपुर, संजय अवस्थी। फोरलेन में अधिग्रहण हुई भूमि के लिए राजनगर तहसील के बसारी गांव के ग्रामीण मुआवजे के लिए भटक रहे हैं। किसानों का कहना है कि उनके द्वारा मुआवजे के लिए सालों से अधिकारियों भाजपा नेताओं के चक्कर काटे जा रहे हैं, लेकिन किसी ने भी उनकी एक नहीं सुनी। जमीन एनएच में जाने के बाद किसानों के सामने भूखों मरने की नौबत आ चुकी है।

किसानों का कहना है कि जिला प्रशासन एनएच के अधिकारी गुंडई की दम पर उनकी जमीनों को हथियाना चाहते हैं। उनकी जमीनों का मुआवजा भी नहीं दिया और जमीनों को अधिग्रहण करके काम शुरू कर दिया गया। जब किसान मुआवजे की बात करते हैं तो उन्हें पुलिस का डंडा दिखाया जाता है। परेशान किसान उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार में किसानों के साथ छलावा छल कपट किया जा रहा है। अन्नदाता किसान अपने हक पाने के लिए दर दर की ठोकर खा रहा है, लेकिन किसी भी भाजपा नेता या अधिकारी उनकी सुनने को तैयार नहीं।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।