भोपाल। एनआरसी और सीएए को लेकर केन्द्र सरकार के मुखिया और उनके मंत्री संसद में कुछ और कहते हैं और मंचों पर आकर घडिय़ाली आंसू बहाकर कुछ और बयानबाजियां करते हैं। इनकी कथनी और करनी का अंतर इस हद तक गहरा गया है कि संसद में एक कौम विशेष को लेकर कानून बनाने के अगुवा बन जाते हैं और बाहर आकर लोगों को कहते हैं कि किसी को डरने की कोई जरूरत नहीं है। इनमें इतनी हिम्मत है तो जो बात वे लोगों के बीच जाकर मंचों पर कह रहे हैं, वही बात सदन का विशेष सत्र बुलाकर वहां कहें।
प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री आरिफ अकील ने केन्द्र सरकार के बयानों की भिन्नता को लेकर भाजपा को जमकर लताड़ा। एक खास मुलाकात में उन्होंने एक शेर के जरिये अपनी बात शुरू की, बोले, उनकी बातों पर न जाओ क्या कहते हैं, उनके कदमों को देखो किधर जाते हैं….! उन्होंने कहा कि देश में इस समय जो हालात बने हैं, वह भाजपा की दोहरी बातों का ही नतीजा हैं। उन्होंने कहा कि किसी बात की, किसी भी शख्स की बर्दाश्त की एक सीमा होती है, इससे आगे जाने के बाद विरोध और आंदोलन ही सामने आता है। तीन तलाक, धारा 370 से लेकर बाबरी मस्जिद मामले तक देश की अवाम का सब्र परखा गया। जब इन सारे हालात में भी देश ने अपने धैर्य का सुबूत दे दिया तो केन्द्र की भाजपा सरकार अब उनके पैरों के नीचे से जमीन सरकाने पर ही आमाद हो गई है। अकील ने कहा कि सरकार का गृहमंत्री संसद में नागरिकता को लेकर कानून पारित करता है, बाहर आकर यह भी धमकाता है कि इस कानून को देश के हर राज्य को मानना ही पड़ेगा, साथ ही यह भी दोहराता है कि एक कौम खास के लोगों को इसमें परेशानियां उठाना पड़ सकती हैं। इसके विपरीत इन्हीं की पार्टी का प्रधानमंत्री मंच पर आकर इस बात को झुठलाता है कि नए कानून और कानून के संशोधन से देश के किसी नागरिक को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा, किसी भी कौम के व्यक्ति के साथ उसके धर्म के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा। अकील ने प्रधानमंत्री को चेतावनी दी कि अगर उनकी बात में सच्चाई है तो इसके लिए संसदका एक विशेष सत्र बुलाएं और अपनी बात स्पष्ट करें कि कानून बनाने का औचित्य क्या है और इससे किसको नफा-नुकसान होने वाला है।