मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने लोक स्वास्थ्य एवं यांत्रिकी विभाग की समीक्षा बैठक में कहा कि प्रदेश के प्रत्येक नागरिक को गुणवत्तापूर्ण और सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने जल जीवन मिशन का लक्ष्य दिसंबर 2028 निर्धारित किया है, लेकिन मध्यप्रदेश मार्च 2027 तक ही लक्ष्य प्राप्त कर देश में मिसाल पेश करेगा।
बैठक में सीएम ने निर्देश दिए कि जल स्रोतों में सीवरेज का दूषित जल किसी भी स्थिति में न मिले और इसके लिए प्रभावी कार्ययोजना तत्काल लागू की जाए। साथ ही जल जीवन मिशन के संचालन और संधारण को मजबूत करते हुए ऐसी व्यवस्था बनाई जाए कि किसी भी परिस्थिति में जल आपूर्ति प्रभावित न हो।
जल जीवन मिशन का लक्ष्य निर्धारित अवधि से पहले पूरा करेगा मध्यप्रदेश
सीएम डॉ मोहन यादव ने लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की समीक्षा बैठक में जल जीवन मिशन को लेकर बड़ा ऐलान किया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने इस मिशन को दिसंबर 2028 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा है, लेकिन मध्यप्रदेश इसे मार्च 2027 तक ही पूरा कर लेगा। उन्होंने विभाग को निर्देशित किया कि पिछले दस वर्षों में जिन गांवों ने जल संकट झेला है, उनकी विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाए और उन क्षेत्रों में प्राथमिकता से जल आपूर्ति सुनिश्चित की जाए। उन्होंने कहा कि जल उपलब्धता के अनुसार जल वितरण समय तय किया जाए और मिशन के प्रभाव का विश्लेषण अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन एवं नीति विश्लेषण संस्थान से कराया जाए।
उत्कृष्ट कार्य करने वालों को किया जाएगा पुरस्कृत
मुख्यमंत्री ने कहा कि जल जीवन मिशन में उत्कृष्ट कार्य करने वाले सरपंचों और महिला स्व-सहायता समूहों को राज्य, संभाग, जिला और ग्राम स्तर पर सम्मानित किया जाएगा। पिछले दस साल में जल संकट झेलने वाले गांवों की सूची तैयार कर उनमें प्राथमिकता से नल-जल पहुँचाने के भी आदेश दिए गए।
80 लाख से अधिक ग्रामीण परिवारों को मिला नल-जल
बैठक में प्रमुख सचिव पी. नरहरि ने बताया कि मध्यप्रदेश में अब तक 80 लाख से अधिक ग्रामीण परिवारों को नल-जल कनेक्शन उपलब्ध कराए गए हैं और जल जीवन मिशन की कुल प्रगति 72.54 प्रतिशत हो चुकी है। वर्ष 2024-25 में 8.19 लाख कनेक्शन का लक्ष्य शत-प्रतिशत पूरा किया गया, जबकि वर्ष 2025-26 में अब तक 5.50 लाख कनेक्शन प्रदान किए गए हैं। उन्होंने बताया कि एकल नल-जल योजनाएं 93 प्रतिशत प्रगति पर हैं, जबकि समूह नलजल योजनाओं के माध्यम से 3,890 ग्रामों में नियमित जल आपूर्ति शुरू हो चुकी है। प्रदेश के 21,552 ग्रामों को “हर घर जल” घोषित किया जा चुका है, जिनमें से 15,026 ग्राम प्रमाणित हैं।
एमपी बोरवेल दुर्घटना रोकने का कानून बनाने वाला देश का पहला राज्य
बैठक में यह जानकारी भी दी गई कि मध्यप्रदेश बोरवेल दुर्घटना रोकने का कानून बनाने वाला देश का पहला राज्य है। “स्वच्छ जल से सुरक्षा अभियान” में भी प्रदेश को राष्ट्रीय स्तर पर प्रथम स्थान मिला है। विभाग ने जल रेखा मोबाइल ऐप के माध्यम से सभी योजनाओं की सतत डिजिटल निगरानी शुरू की है। सभी 155 प्रयोगशालाएं अब NABL मान्यता प्राप्त कर चुकी हैं। निर्माण सामग्री की निगरानी के लिए ऑनलाइन इन्वेंटरी प्रबंधन प्रणाली और ट्यूबवेल मॉनिटरिंग के लिए समर्पित सॉफ्टवेयर भी विकसित किए गए हैं। बैठक में बताया गया कि 100 मेगावाट सौर ऊर्जा परियोजना PPP मॉडल पर स्वीकृत की गई है, जिससे आने वाले 25 वर्षों तक सस्ती और स्थिर ऊर्जा उपलब्ध होगी। इसके साथ ही 60 मेगावाट पवन ऊर्जा परियोजना का कार्य भी प्रगति पर है।
अगले तीन साल का विजन
विभाग ने आगामी तीन वर्षों में ग्रामीण क्षेत्रों के प्रत्येक घर तक सुरक्षित नल-जल उपलब्ध कराने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसके साथ ही जल स्रोतों का संरक्षण, निर्माण गुणवत्ता, डिजिटल प्रबंधन, ऊर्जा सुरक्षा और क्षमता-विकास पर विशेष ध्यान देने की योजना भी बनाई गई है। नए गांवों, बसाहटों, विद्यालयों, आंगनवाड़ियों और स्वास्थ्य संस्थानों में पेयजल सुविधाओं का विस्तार किया जाएगा।





