देश में इन दिनों राष्ट्रगीत वंदेमातरम् को लेकर विरोध और समर्थन पर बयान युद्ध छिड़ा हुआ है, सियासत करने वाले इसे अपने अपने हिसाब से देख रहे हैं और रिएक्ट कर रह हैं, खासकर इस्लाम को मानने वाले तो इसे धार्मिक आस्था से जोड़कर इसे गाने से साफ इनकार कर रहे हैं और इसका विरोध कर रहे हैं, भाजपा ने इसपर कड़ी प्रतिक्रिया दी है।
राज्यसभा में वंदेमातरम् पर चर्चा के दौरान गृह मंत्री अमित शाह द्वारा एक सूची सभापति के सामने प्रस्तुत की गई जिसमें उन नेताओं के नाम थे जिन्होंने वंदेमातरम् को अस्वीकार करने की बात इस दौरान की, 9 लोगों की इस सूची में मध्य प्रदेश के कॉंग्रेस विधायक आरिफ़ मसूद का नाम भी शामिल है।
मैं वंदेमातरम् नहीं गा सकता : आरिफ़ मसूद
मीडिया ने जब उनसे वंदेमातरम् गाने से इंकार करने के जवाब पर प्रतिक्रिया चाही तो उन्होंने स्पष्ट कहा वो नहीं गा सकते, इनका मजहब इसकी इजाजत नहीं देता, आरिफ़ मसूद ने तंज कसते हुए कहा किसान को खाद नहीं मिल रहा, युवा रोजगार के लिए परेशान है और एक गान को लेकर देश की सबसे बड़ी संसद में चर्चा हो रही है ये चिंता की बात है और अफसोस की बात है।
आरिफ़ मसूद के बयान पर रामेश्वर शर्मा का पलटवार
आरिफ़ मसूद के बयान पर भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा ने पलटवार किया है, मीडिया से बात करते हुए आरिफ मसूद जैसे लोगों को कान खोल कर सुन लेना चाहिए कि जब तुम्हारा मजहब वंदे मातरम गाने के लिए मना करता है, तो वोट के खातिर चुनाव के समय जब तुम बिना नहाए मंदिर जाकर पूजा की थाली पकड़ लेते हो, लंबा त्रिपुंड लगवा लेते हो, तब तुम्हारा मजहब आड़े क्यों नहीं आता?
वोट की खातिर देवी जागरण में क्यों जाते हो?
तुम्हारे मजहब में मूर्ति पूजा करना मनाही है न, तो फिर वोट के खातिर चुनरी क्यों ओढ़ लेते हो? देवी जागरण में क्यों जाते हो? वोट के खातिर मंदिरों में घुस रहे हो और राष्ट्रगीत गाने के लिए, राष्ट्रगान गाने के लिए, भारत माता की जय बोलने के लिए तुम्हारा मजहब मना कर रहा है? धन्य हो रे ऐसे मजहब के मानने वालों..
मजहब से ही बेईमानी करने का आरोप
अरे तुम मजहब से ही बेईमानी करने वाले स्वार्थी लोग हो। इसी स्वार्थ के ही कारण तो हिंदुस्तान का विभाजन हुआ था।पहले जिन्ना का स्वार्थ आगे आया और देश का विभाजन हुआ और आज तुम जैसे कांग्रेसी फिर वंदे मातरम की 150वीं साल पर वंदे मातरम गाने से मना कर रहे हो।
जिन्ना की मानसिकता आज भी जिंदा
उन्होंने कहा , इसका मतलब यह है कि ये सुधर नहीं सकते यह आज भी जिन्ना की मानसिकता लेकर चल रहे हैं, अब हिंदुस्तानियों को सोचना है कि जो तुम्हारा राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत ना गाये, जो भारत माता की जय ना बोल पाए, वह बात वह भारत माता के प्रति वफादार होगा या पाकिस्तान के टुकड़ों पर पलने का काम करेगा?





