भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। विधानसभा और लोकसभा चुनावों (Assembly and Lok Sabha elections) के बाद अब एमपी (MP) के उपचुनावों (By-election) में भी नेता-पुत्रों की एंट्री हो गई है। शिवराज-महाराज (Shivraj Maharaj) के बाद अब कार्तिकेय-महाआर्यमान (Karthikeya-mahaaryaman) की जोड़ी चुनावी मैदान में अपना कमाल दिखाने वाली है। खबर है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) के बेटे कार्तिकेय और राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) के बेटे महाआर्यमन सोमवार को सांची में स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी ( Prabhuram Chaudhary) की समर्थन में धुआंधार चुनाव प्रचार करेंगे।
उपचुनाव में युवा वोटरों को साधने के लिए भाजपा की तरफ से ये बड़ा दांव माना जा रहा है।भाजपा को पूरी उम्मीद है कि दोनों नेता पुत्र युवा वोटरों को आकर्षित करने में कामयाब होंगे। इसे दोनों नेता पुत्रों की लॉचिंग के तौर पर भी देखा जा रहा है।हालांकि यह पहला मौका नही है, इससे पहले भी दोनों 2018-19 के विधानसभा और लोकसभा में अपने अपने पिता के पक्ष में प्रचार करते हुए दिखाई दिए थे, तब सिंधिया कांग्रेस में थे और लोकसभा सांसद के लिए चुनाव लड़ रहे है, लेकिन इस बार का प्रचार अलग और बहुत ही रोचक होने वाला है, क्योंकि सिंधिया अब भाजपा में है। चुनावी मैदान में शिवराज-महाराज की जोड़ी तो पहले ही एक के बाद एक रोड शो और सभाएं कर अपनी शक्ति का प्रदर्शन कर चुके है, वही अब दोनों के बेटे भी एक साथ दिखाई देंगे और भाजपा नेता के समर्थन में प्रचार करते हुए दिखाई देंगे।दोनों सोमवार को प्रभुराम चौधरी की पक्ष में सांची में चुनावी समर में ताकत झोकेंगे। इसके साथ ही दोनों नेता पुत्र सांची में युवा सम्मेलन में भाग लेंगे।
पहले भी शिवराज के साथ नजर आ चुके है कार्तिकेय
पिता से राजनैतिक गुण सीख रहे 25वर्षीय कार्तिकेय ने पुणे के सिम्बायसिस से पढ़ाई की है।उनकी भोपाल में एक फूलों की भी दुकान है, जिस पर उन्हें कई बार देखा गया है। पिता के साथ कार्तिकेय कई सभाओं और भाषणों में नजर आ चुके है।वही पिता के समर्थन में उनके बयान भी कई बार मीडिया में सुर्खियां भी बने है।ट्वीटर पर भी कार्तिकेय अच्छे खासे एक्टिव रहते है। पिता की तरह कार्तिकेय अपने भाषणों से लोगों को आकर्षित करते हुए नजर आए है, विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने पिता के फेवर में बुधनी में कई सभाएं और रैलिया भी निकाली थी।
पिता के फेवर में कई बार कर चुके है प्रचार
वही महाआर्यमन सिंधिया के इकलौती बेटे और सिंधिया परिवार की चौथी पीढ़ी है जो सियासत में कदम रखने को तैयार है। 25 वर्षीय महाआर्यमन ने अपनी शुरुआती पढ़ाई पिता ज्योतिरादित्य सिंधिया की तरह दून स्कूल से की है।वही अमेरिका की येल यूनिवर्सिटी ( Yale University ) से ग्रेजुएट की पढ़ाई पूरी की है। महाआर्यमन सिंधिया अपने पिता के क्षेत्र में सक्रिय रहते हैं। महाआर्यमन सिंधिया अपनी मां प्रियदर्शनी राजे सिंधिया के साथ अक्सर सार्वजानिक मंचों पर नजर आते हैं। वो कई बार मां के साथ सार्वजानिक मंचों से कांग्रेस कार्यकर्ताओं को संबोधित कर चुके हैं।महाआर्यमन सिंधिया जब भी ग्वालियर आते हैं लोगों के बीच पहुंचते हैं और लोगों की समस्याएं भी सुनते हैं। सिंधिया की तरह की महाआर्यमन भी परिवारिक परंपराओं का निर्वहन करते हैं। वो लोगों से सादगी भरे अंदाज में मिलते हैं।
कांग्रेस की चुटकी, भाजपा का जवाब
भाजपा के इस कदम ने एक बार फिर एमपी की सियासत में परिवारवाद की राजनीति को हवा दे दी है।कांग्रेस जहां इस पर चुटकी ले रही है वही बीजेपी बीच-बचाव करती हुई नजर आ रही है।कैबिनेट मंत्री विश्वास सारंग (Vishwas Sarang) का कहना है भारतीय जनता पार्टी (BJP) में परिवारवाद (Familyism) नहीं है, किसी भी नेता का बेटा अपने स्वयं की क्षमता से आगे बढ़ता है तो उसमें कोई बुराई नही है। हमारे यहां कोई नेहरू परिवार नही है कि नेहरू जी के बाद इंदिरा जी फिर राजीव जी, सोनिया जी, राहुल जी और अब प्रियंका जी। हमारे यहां परिवारवाद को लेकर राजनीति नहीं की जाती है।