भोपाल।
प्रदेश में कमलनाथ की सरकार के गिरने की जिम्मेदार सिंधिया को मानने वाली कांग्रेस लगातार सिंधिया पर निशाना बनाए हुए। गुरुवार की रात एमपी कांग्रेस ने एक बार फिर भाजपा के राज्यसभा उम्मीदवार ज्योतिरादित्य सिंधिया पर जमकर निशाना बोला है। एमपी कांग्रेस ने ट्वीट करते हुए कहा है कि लगता है बीजेपी का मिशन पूरा हो चुका है क्योंकि ज्योतिरादित्य सिंधिया चर्चा और सुर्खियों से अचानक से गायब हो गए। हालांकि उन्होंने ट्वीट में सिंधिया का नाम नहीं लेते विभीषण शब्द के साथ निशाना दागा है।
दरअसल गुरुवार की रात एमपी कांग्रेस ने एक ट्वीट करते हुए बिना सिंधिया का नाम हुए कहा कि नहीं कोई विधायक है ना ही राज्यसभा चुनाव नजदीक है अब वहीं अब तो गुना सांसद के आत्मसमर्पण की बात ही नहीं है। ट्वीट में एमपी कांग्रेस ने लिखा है कि अब बस अंत के किस्से बाकी रह गए हैं। बता दें कि इससे पहले प्रदेश में कमलनाथ सरकार के गिरने में जिस 22 कांग्रेस विधायकों ने भूमिका निभाई थी। उन पर आपत्तिजनक ट्वीट करते हुए एमपी कांग्रेस ने कहा है कि बंगलुरु से लौटे 22 जयचंदों के लिए लॉक डाउन राहत देने वाला है नहीं तो जनता से मुलाकात के बाद उनके कई तस्वीरें लोगों के सामने वायरल हो रही होती। लगातार एक पर एक ट्वीट करते हुए एमपी कांग्रेस सिंधिया और उनके समर्थकों पर निशाना बना रही है। एमपी कांग्रेस ने कहा है कि सुना है अभी तक 22 जयचंद विधानसभा क्षेत्र नहीं पहुंच पाए हैं। वहीं से पहले एक ट्वीट में उन्होंने मोदी सरकार पर तंज कसते हुए कहा था की मध्य प्रदेश की स्थिति बिगड़ने में कहीं न कहीं भाजपा का सत्ता लोलूप नियत शामिल है। कोरोना संक्रमण के कारण पिछले सरकार द्वारा विधानसभा 16 मार्च को ही स्थगित कर दी गई थी किंतु प्रदेश में भाजपा की सरकार बनाने के लिए मोदी जी ने कर्फ्यू और लॉक डॉउन का निर्णय नहीं लिया। अगर तब मोदी जी गंभीर हुए होते तो देश में ऐसे संकट उत्पन्न नहीं होते।
वही एमपी कांग्रेस ने शिवराज सिंह चौहान पर निशाना साधते हुए बताया है कि मध्यप्रदेश को रोना महामारी की चपेट में है। पर यहां पर ना ही सशक्त सरकार है ना कोई मंत्रिमंडल, ना कोई कैबिनेट कमेटी है न स्वास्थ्य मंत्री। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को कलेक्टरों पर भी भरोसा नहीं है। एमपी कांग्रेस ने साथ में यह भी लिखा है कि शिवराज सरकार के पास कोई भी ठोस प्लानिंग नहीं है यह सरकार सर से पांव तक भ्रष्टाचार में शनि एक घोषणा वीर विज्ञापन रस में डूबी सरकार है। शिवराज सरकार की उम्र लंबी नहीं है।
गौरतलब होगी 4 मार्च से शुरू हुआ प्रदेश का सियासी घटनाक्रम तब बदल गया जब कांग्रेस के 22 विधायक अचानक से कांग्रेस के खिलाफ हो बेंगलुरु चले गए थे।जिसके बाद प्रदेश कांग्रेस लगातार बीजेपी पर विधायकों को अगवा करने का आरोप लगा रही थी। इस बीच राज्यसभा चुनाव के मद्देनजर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल होकर सबको चौंका दिया। जिसके बाद प्रदेश में इस्तीफों का दौर शुरू हो गया था और अंततः बीजेपी द्वारा ज्योतिरादित्य सिंधिया को राज्यसभा उम्मीदवार बनाए जाते हैं 22 कांग्रेसी विधायकों ने अपने पद से इस्तीफा देकर कमलनाथ सरकार को अल्पमत में ला दिया। जिसके बाद प्रदेश में शिवराज सरकार की वापसी हुई थी।
मप्र कोरोना महामारी की चपेट में है,
और मप्र में-
– न कोई मंत्रीमंडल है
– न कैबिनेट कमेटी है
– न स्वास्थ्य मंत्री है
– न कोई ठोस प्लानिंग है
– न शिवराज को कलेक्टरों पर भरोसा है
– न सरकार की उम्र लम्बी है।— सर से पाँव तक भ्रष्टाचार में सना एक घोषणावीर विज्ञापन रस में तल्लीन है।
— MP Congress (@INCMP) March 27, 2020
बैंगलोर से लौटे 22 जयचंदो को 21 दिन के लॉकडाउन ने थोड़ी सी राहत दे दी, वर्ना अभी तक तो जनता से मुकालात के कई दृश्य वायरल हो रहे होते।
— MP Congress (@INCMP) March 26, 2020
मिस्टर विभीषण अचानक से चर्चाओं और सुर्ख़ियों से ग़ायब हो गये..!
लगता है बीजेपी का मिशन पूरा हो गया है।
न एक भी विधायक बचे,
न राज्यसभा चुनाव नज़दीक,
न मंत्री बनने की कोई संभावना,
न गुना सांसद का आत्मसमर्पण..!अब बस हर तरफ़ श्रीअंत के क़िस्से बाक़ी हैं।
— MP Congress (@INCMP) March 26, 2020
मोदी जी की ज़्यादा गलती नहीं है,
बीजेपी का मप्र में सरकार गिराने और बनाने का कार्यक्रम नहीं होता तो ये लॉकडाउन और कर्फ़्यू पहले ही लग जाता।बीजेपी की सत्ता की हवस ने देश के 130 करोड़ लोगों की जान आफ़त में डाल दी है।
— MP Congress (@INCMP) March 27, 2020