कांग्रेस नेता लक्ष्मण सिंह का विवादित बयान, कहा- चोट्टों को नहीं दूंगा चंदा

Gaurav Sharma
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Lakshman Singh

राजगढ़,डेस्क रिपोर्ट।  अयोध्या में बनने वाले राम मंदिर (Ram Temple) के लिए देशभर में धन संग्रह अभियान चलाया जा रहा है। इस घन संग्रह अभियान में राजनीति, बॉलीवुड से लेकर आम आदमी बढ़ चढ़कर भगवान राम के लिए आयोध्या में बनने वाले भव्य और दिव्य मंदिर के लिए चंदा (Donation) दे रहा है। जहां एक ओर मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह (Digvijaya Singh) ने राम मंदिर निर्माण (Ram Temple Construction) के लिए 1 लाख 11 हजार 111 रुपए का चंदा (Donation) दिया है, वहीं दूसरी ओर उनके भाई लक्ष्मण सिंह (Lakshman Singh) द्वारा धन संग्रह अभियान के वॉलिंटियर्स (Volunteers) पर विवादित बयान दिया गया है।

दरअसल, कांग्रेस पार्टी द्वारा किसानों के समर्थन में धरना देने लक्ष्मण सिंह राजगढ़ के ब्यावरा पहुंचे थे। जहां लक्ष्मण सिंह (Lakshman Singh) ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी (Bhartiye Janta Party) को आप सब बहुत अच्छे से जानते हैं। मैं आपको क्या ही बताऊंगा, अभी चंदा (Donation) अभियान चल रहा है।

अपने भाई दिग्विजय सिंह द्वारा राम मंदिर निर्माण के लिए दिए गए चंदा को लेकर लक्ष्मण सिंह ने कहा कि राम जी के नाम पर बड़े साहब ने  1 लाख 11 हजार 111 का चंदा दिया है। बड़े साहब सबको एडजस्ट करके चलने वालों में से हैं, लेकिन हमें और आपको एडजस्ट करने की कोई जरूरत नहीं है।

धन संग्रह अभियान को लेकर लक्ष्मण सिंह कहते हैं कि राम मंदिर निर्माण के चंदे के लिए मेरे पास भी फोन आया था। मैंने तो स्पष्ट कह दिया कि मैं चंदा तो दूंगा लेकिन तुम्हें नहीं दूंगा। मैं अयोध्या जाकर श्री राम जी के चरणों में जो भी चंदा देना होगा वह दे दूंगा, लेकिन तुम चोट्टों के हाथों में एक कौड़ी भी नहीं देने वाला। आप लोगों को भी इन चोट्टों  को चंदा देने की जरूरत नहीं है।

पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह यहां ही नहीं रुके वे आगे कहते हैं कि पहले तो आप से चंदा लिया जाएगा और फिर आने वाले पंचायत और नगरपालिका चुनाव में इस चंदे का उपयोग आपके ही खिलाफ किया जाएगा। कांग्रेसियों को अलर्ट करते हुए लक्ष्मण सिंह ने कहा कि सावधान रहिएगा। इनके जाल में मत फंस जाना, अगर आपको चंदा देना ही है तो अयोध्या जाकर चंदा भगवान राम के चरणों में अर्पण करें, लेकिन इन चोट्टों  को चंदा नहीं देना है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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