Retirement Age Hike, Doctors Retirement Age : उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा डॉक्टर कर्मचारियों को बड़ी राहत दी गई है। उनके रिटायरमेंट आयु में 3 वर्ष की वृद्धि की गई। जिसके लिए शासनादेश जारी कर दिए गए हैं। इससे पूर्व कैबिनेट की बैठक में उनके सेवानिवृत्ति आयु को 3 वर्ष तक बढ़ाने का फैसला लिया गया था। इसके साथ ही उनकी रिटायरमेंट आयु 62 से बढ़कर 65 वर्ष हो गई है।
शासन आदेश जारी
अब सीएमओ, सीएमएस को पद छोड़कर सरकारी अस्पतालों के मरीज को देखना होगा। सरकारी डॉक्टर के सेवानिवृत्ति आयु 65 वर्ष कर दी गई है। हालांकि बढ़ी हुई अवधि के दौरान वह किसी प्रशासनिक पद पर नहीं रह सकेंगे। लेवल 4 स्तर तक के चिकित्सा अधिकारियों को सेवानिवृत्ति में वृद्धि का लाभ दिया गया है। इसके ऊपर के लेवल वाले चिकित्सक 62 वर्ष में ही रिटायर होंगे। योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली कैबिनेट बैठक में मंगलवार को ही इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी। जिसके लिए अब शासन आदेश जारी किए गए।
सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाकर कर दी गई 65 वर्ष
प्रादेशिक चिकित्सा और स्वास्थ्य सेवा संवर्ग के चिकित्सकों की सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाकर 65 वर्ष कर दी गई है। चिकित्सा स्वास्थ्य परिवार कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा द्वारा इसके लिए आदेश जारी किए गए हैं। जिसमें लेवल 1 से लेवल 4 तक के चिकित्सा अधिकारियों के रिटायरमेंट आयु में 3 वर्ष की वृद्धि की गई है। एसएमएस, नगर स्वास्थ्य अधिकारी, जिला कुष्ठ रोग अधिकारी और अन्य प्रशासनिक पद पर कार्यरत लेवल 4 के चिकित्सा अधिकारी को 62 वर्ष की आयु पूरी करने के साथ ही इन पदों को छोड़ना होगा। जिसके बाद 65 वर्ष तक वह सेवा का लाभ ले सकेंगे। उन्हें अस्पतालों में मरीजों का इलाज करना होगा।
यह चिकित्सा अधिकारी 62 वर्ष की आयु में ही होंगे रिटायर
हालांकि महानिदेशक लेवल 7, निदेशक लेवल 6, अपर निदेशक, प्रमुख अधीक्षक, मुख्य नगर स्वास्थ्य अधिकारी लेवल 5 तक के चिकित्सा अधिकारी को 62 वर्ष की आयु में ही पूर्व की तरह रिटायर किया जाएगा। इन्हें इस सुविधा का लाभ नहीं दिया जाएगा। हालांकि यदि कोई चिकित्सक 65 वर्ष की सेवा देने की इच्छुक नहीं है तो वह वीआरएस के लिए आवेदन कर सकते हैं।
डॉक्टरों की कमी
प्रदेश में सरकारी अस्पताल की संख्या में लगातार वृद्धि देखी जा रही है लेकिन डॉक्टरों की कमी बनी हुई है। प्रदेश में डॉक्टर के करीब 19400 पद रिक्त थे। वहीं चिकित्सकों की संख्या 11500 है, जिसके बाद हर साल रिटायर होने वाले कर्मचारी को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है। वहीं करीब ढाई हजार डॉक्टर संविदा पर कार्यरत है।